राजपूत राजाओं ने जितेंद्र के पूर्वजों के धनुष-बाण से जीता था रण
सूरजकुंड में चल रहे 33वें अंतरराष्ट्रीय मेले में राजस्थान के उदयपुर से आए जितेंद्र तीरगर के धनुष और बाण पर्यटकों के पसंदीदा बने हुए हैं। जितेंद्र के अनुसार यह उनका पुश्तैनी कार्य है और धनुष और बाण बनाने के पीछे कई रोचक कहानियां बताते हुए पर्यटकों अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। उनके अनुसार राजस्थान के कई राजपूत राजाओं ने इनके पूर्वजों द्वारा तैयार किए गए धनुष बाणों की बदौलत रण में जीत का डंका बजाया था।
अभिषेक शर्मा, फरीदाबाद : सूरजकुंड में चल रहे 33वें अंतरराष्ट्रीय मेले में राजस्थान के उदयपुर से आए जितेंद्र तीरगर के धनुष और बाण पर्यटकों के पसंदीदा बने हुए हैं। जितेंद्र के अनुसार यह उनका पुश्तैनी कार्य है। धनुष और बाण बनाने के पीछे कई रोचक कहानियां बताते हुए पर्यटकों अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। उनके अनुसार राजस्थान के कई राजपूत राजाओं ने इनके पूर्वजों द्वारा तैयार किए गए धनुष बाणों की बदौलत रण में जीत का डंका बजाया था।
जितेंद्र ने बताया कि उनके पूर्वजों को धनुष बाण बनाने की महारत हासिल होने की वजह से ही राजपूत राजाओं ने इनके पूर्वजों को तीरगर के नाम से संबोधित किया गया था और तब से इन्हें उदयपुर में तीरगर नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि समय बदलने के साथ धनुष का स्वरूप भी बदला है। पहले धनुष पूरा एक होता था। अब यह पोर्टेबल हो गया है। अब इसका एक-एक हिस्सा अलग हो जाता है। इसके अलावा अब इनका इस्तेमाल रण की बजाय खेलों में होने लगा है। प्रत्येक आयुवर्ग का रखा गया है ध्यान
जितेंद्र तीरगर ने बताया कि अब वह खिलाड़ियों के लिए धनुष तैयार करते हैं। छह वर्ष से लेकर 60 वर्ष के लोगों को ध्यान में रखकर धनुष और बाण तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि छह वर्ष के बच्चे के लिए 950 रुपये में उपलब्ध है, जबकि मध्यम आयु वर्ग के लिए 1850 रुपये और युवा वर्ग के लिए 2150 रुपये में धनुष उपलब्ध हैं। इसके अलावा 70 और 90 रुपये में बाण उपलब्ध हैं।