सूरजकुंड मेले में जीएसटी को फिर लग रहा झटका
केंद्र सरकार की बेहद महत्वपूर्ण कर योजना जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को एक बार फिर सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में धत्ता लगता दिख रहा है। शुक्रवार एक फरवरी से मेला शुरू हो चुका है और दूसरे दिन शनिवार तक लाखों रुपये का कारोबार हो चुका है, पर खरीद-फरोख्त बिना बिल के होती दिखाई दी। स्पष्ट है कि अब जब ग्राहक को बिल ही नहीं दिया जा रहा, तो फिर जीएसटी कौन लेगा और कौन देगा।
सुशील भाटिया, फरीदाबाद : केंद्र सरकार की बेहद महत्वपूर्ण कर योजना जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को एक बार फिर सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में धता लगता दिख रहा है। शुक्रवार एक फरवरी से मेला शुरू हो चुका है और दूसरे दिन शनिवार तक लाखों रुपये का कारोबार हो चुका है, पर खरीद-फरोख्त बिना बिल के होती दिखाई दी। स्पष्ट है कि अब जब ग्राहक को बिल ही नहीं दिया जा रहा, तो फिर जीएसटी कौन लेगा और कौन देगा।
देश भर में जीएसटी एक जुलाई-2017 से लागू किया गया था। इसके तहत विभिन्न उत्पादों पर जीएसटी की दर अलग-अलग है। समय-समय पर जीएसटी काउंसिल ने व्यापारिक संगठनों की मांग पर और इस बाबत आ रही दिक्कतों को देखते हुए दरों में संशोधन भी किया है। जीएसटी में यह प्रावधान है कि बिल काटने पर जीएसटी के रूप में मिलने वाला राजस्व का 50 फीसद राज्य सरकार के खाते में और 50 फीसद केंद्र सरकार के खजाने में जाएगा।
केंद्र सरकार व हरियाणा सरकार के संयुक्त तत्वावधान में शुरू हुए हस्तशिल्प मेला में इस बार थीम स्टेट महाराष्ट्र है और सहभागी देश के रूप में थाईलैंड है। मेले में देश के विभिन्न प्रदेशों से एक हजार से अधिक शिल्पकारों ने अपने स्टॉल लगाए हैं, इसके अलावा 30 से अधिक देशों के स्टॉल भी लगे हुए हैं। हस्तशिल्पियों के अलावा बड़ी संख्या में कारखाने, लघु कुटीर उद्योग, खानपान, मनोरंजन आदि के स्टॉल भी हैं। मेले में बेशकीमती सामान आदि की बिक्री शुरू हो चुकी है। देश-विदेश से आ रहे दर्शक इन उत्पादों में बेहद रुचि दिखा रहे हैं और अपनी क्षमता के अनुसार खरीदारी भी कर रहे हैं, पर मेले में सारा माल बिना बिल पर्चे का बिक रहा है। खरीदारी करने वाले अगर बिल मांगते भी हैं, तो उन्हें कच्ची रसीद दी जाती है। मेला 17 फरवरी तक चलेगा और इस दौरान करोड़ों रुपये का कारोबार होगा, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिल न कटने और जीएसटी की प्रक्रिया पूरी न करने पर सरकार को कितना बड़ा फटका लगेगा।
स्वयं जागरण संवाददाता ने ग्राहक के रूप में माल खरीदने पर बिल बाबत पूछताछ की, तो कालीन बेचने वाले ने कहा कि उनकी तो बिल बुक ही खो गई है, कच्ची रसीद बना कर दी जाएगी। इस बारे में जब उप आबकारी एवं कराधान आयुक्त एसएस मलिक से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि अधिकारियों की टीम मेले में तैनात कर दी गई है, जो निगरानी करेगी। जीएसटी की कोई छूट नहीं है। यहां बता दें कि गत वर्ष भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था।