सुप्रीम कोर्ट के आदेश को आतिशबाजियों में उड़ाया
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: पटाखों पर प्रतिबंध के सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिवाली की रात शहरवासियों ने धुएं में उड़ा दिए। पूरी रात जमकर आतिशबाजी हुई। इस बार प्रतिबंध लागू कराने की जिम्मेदारी पुलिस के ऊपर थी, जिसमें वह विफल नजर आई। पुलिस के पास कोई रणनीति नहीं थी। अदालत के आदेश का उल्लंघन कर लोगों ने 10 बजे के बाद भी पूरी रात पटाखे चलाए। पुलिस ने कुछ पटाखा बेचने वालों पर कार्रवाई कर कर्तव्य की इतिश्री की। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पटाखे चलाने पर किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। दावा था कि दिवाली की रात आतिशबाजी करने वालों पर नजर रखने के लिए सभी थाना प्रभारी साथ कर्मियों सहित अपने-अपने क्षेत्र में गश्त करेंगे। ऐसा हुआ नहीं। सुबह गलियों में पड़े पटाखों के अवशेषों ने साफ किया कि इस बार पिछले साल की तुलना में ज्यादा पटाखे चले।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : पटाखों पर प्रतिबंध के सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिवाली की रात शहरवासियों ने धुएं में उड़ा दिए। पूरी रात जमकर आतिशबाजी हुई। इस बार प्रतिबंध लागू कराने की जिम्मेदारी पुलिस के ऊपर थी, जिसमें वह विफल नजर आई। पुलिस के पास कोई रणनीति नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर लोगों ने 10 बजे के बाद भी देर रात खूब पटाखे चलाए। पुलिस ने कुछ पटाखा बेचने वालों पर कार्रवाई कर कर्तव्य की इतिश्री जरूर की, पर पटाखे चलाने पर किसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। जबकि पुलिस प्रशासन की ओर से दावा था कि दिवाली की रात आतिशबाजी करने वालों पर नजर रखने के लिए सभी थाना प्रभारी साथ कर्मियों सहित अपने-अपने क्षेत्र में गश्त करेंगे। ऐसा हुआ नहीं। सुबह गलियों में पड़े पटाखों के अवशेषों ने साफ किया कि इस बार पिछले साल की तुलना में ज्यादा पटाखे चले।
सिर्फ ग्रीन पटाखे चलाने का था आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि लोग रात 8 से 10 बजे तक केवल ग्रीन पटाखे ही चला सकेंगे। इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इस आदेश से पर्यावरण प्रेमी काफी खुश थे। उन्हें उम्मीद थी कि इस बार आतिशबाजी नहीं होगी तो प्रदूषण पर अंकुश लगेगा। रात में जब लोग 10 बजे के बाद भी पटाखे चला रहे थे तो पर्यावरण प्रेमी व जागरूक नागरिकों ने पुलिस को फोन कर सूचित किया। मगर पुलिसकर्मी मौके पर नहीं पहुंचे। रात भर पुलिस कंट्रोल रूम में भी लोग आतिशबाजी की सूचना देते रहे, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दिवाली की रात आतिशबाजी पर अंकुश केवल पुलिस के भरोसे नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए सबसे पहले तो लोगों को ही जागरूक होना होगा। चूंकि कुछ लोग इसे धर्म से जोड़ लेते हैं, ऐसे में पटाखे चलाने वालों पर कार्रवाई करते हुए पुलिस भी हिचकती है। पुलिस को इससे माहौल खराब होने का अंदेशा होता है।
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हमारी गली में खूब आतिशबाजी हुई और देर रात तक होती रही। कंट्रोल रूम में 100 नंबर पर फोन करने के लिए कई बार प्रयास किए, पर नंबर ही नहीं मिला। स्थानीय पुलिस को फोन कर सूचित किया गया। पुलिस अधिकारियों ने पहुंचने का आश्वासन दिया, पर हम राह तकते रहे, लेकिन कोई नहीं आया। अब इससे ही पुलिस की तत्परता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
-सुरेंद्र कुमार, निवासी दो एच ब्लॉक एनआइटी
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सभी थाना प्रभारियों को अपने-अपने क्षेत्र में आतिशबाजी पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने रात में गश्त भी की। पुलिस ने अपने स्तर पर आदेश लागू कराने की भरपूर कोशिश की। कई जगहों पर लोगों को समझाकर आतिशबाजी रुकवाई गई। पटाखा बेचने वालों पर कार्रवाई की गई।
- लोकेंद्र ¨सह, डीसीपी सेंट्रल