बवंडर था या चक्रवाती तूफान, छोड़ गया तबाही के निशां
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : हे राम! समझ ही नहीं आया कि यह बवंडर था, चक्रवात या तूफान
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : हे राम! समझ ही नहीं आया कि यह बवंडर था, चक्रवात या तूफान, पर जो भी था दहशत वाला पल था। उस पल के बारे में सोचते हैं तो ऐसा लगता है जैसे हमारी दुनिया ही उजड़ने वाली थी। मात्र आठ मिनट के प्राकृतिक तांडव ने ही खूबसूरत सोसायटी बनाने के वर्षों पुराने इंतजाम तहस-नहस कर दिए। बवंडर ऐसा था जिसमें गमले, कपड़े, कुर्सियां, कूलर, भारी भरकम शीशे सबकुछ समा गया और 15-15 मंजिला इमारत से भी ऊंचाई तक उड़ते नजर आए। कुछ इस तरह हालात बयां किए ग्रेटर फरीदाबाद के सेक्टर-82 की पार्क ग्रेंडूरा सोसायटी निवासियों ने।
बृहस्पतिवार शाम को मात्र आठ मिनट के बवंडर ने इस खूबसूरत सोसायटी की दशा ही बदल दी। चारों और सैकड़ों गिरे-उखड़े पेड़, टूटी स्ट्रीट लाइटें, क्षतिग्रस्त बाउंड्रीवाल, दीवारों से झड़ा प्लास्टर, गाड़ियों- मकानों के टूटे शीशे, उखड़ी चौखटें व घायल लोग तबाही का मंजर बयां करने के लिए काफी है। यहां हर शख्स उस पल के बारे में जानकारी देते हुए सिहर उठता था। सोसायटी के अंदर 14 टॉवर में 950 परिवार रहते हैं। हमारी सुंदर सोसायटी को किसी की नजर लग गई। बेशकीमती चीजें बवंडर में उड़कर पता नहीं कहां-कहां चली गई है। सोसायटी वासियों के कपड़े भी उड़ गए। दीवारों से प्लास्टर झड़ गया। मुझे लगता है ऐसा बवंडर कभी नहीं देखा और अब देखना भी नहीं चाहेंगे।
-अशोकन जीके पहले कभी ऐसी तबाही का मंजर नहीं देखा। लगा अब तो सोसायटी जमींदोज हो जाएगी, पर जाते भी तो कहां। मौका ही नहीं मिला बाहर निकलने का। घर के दरवाजे जोर-जोर से ऐसे बज रहे थे जैसे कोई तोड़ने की कोशिश कर रहा है। पूरी रात दहशत में गुजरी है। भगवान ऐसा दिन दोबारा न दिखाए। काफी नुकसान हुआ है।
-अनू गांधी, जे-702 पता नहीं यह क्या था, पर जो था वह बड़ा भयानक था। मैं अपने कमरे में थी, अचानक दीवार में लगा शीशा मेरे ऊपर गिर गया। सिर में गहरी चोट लगी है। काफी देर में होश आया। जरूरी चेकअप करा लिए हैं। अब डॉक्टर ने आराम की सलाह दी है लेकिन वह पल सोचकर अभी भी डर लगता है।
-डोली चड्ढा, 1004 मुझे लगता है ग्रेटर फरीदाबाद में सबसे अधिक नुकसान हमारी सोसायटी में हुआ है। यहां करीब 40 लाख रुपये नुकसान होने का अनुमान है। काफी पेड़, गमले, शीशे सहित अन्य प्रकार से नुकसान हुआ है। हम सोच भी नहीं सकते थे कि कभी ऐसा भी होगा, पर धन्यवाद करना चाहूंगा अपनी मेंटीनेंस टीम का जो तुरंत काम पर लग गई। शासन-प्रशासन को हालात देखकर सहयोग के लिए आगे आना चाहिए।
-विशाल गुप्ता, प्रधान, आरडब्ल्यूए, पार्क ग्रेंडूरा, सेक्टर-82