नहरों में डाला जा रहा सीवर का पानी
शहरों में तो सीवर लाइन है इसलिए सीवर का पानी ट्रीटमेंट प्ला तक ज ाता ह लेकिन गांव में सीधे नहरों में डाला जा रहा है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : शहरों में तो सीवर लाइन है, इसलिए सीवर का पानी ट्रीटमेंट प्लांट के जरिये नहरों तक पहुंच जाता है। लेकिन, ग्रामीण इलाके में सीवर के लिए गड्ढे खोदे हुए हैं और भरने के बाद टैंकर द्वारा इन्हें खाली कराया जाता है। सीवर के पानी से भरे यह टैंकर सीधे गुरुग्राम, आगरा सहित अन्य नहरों व ग्रीन बेल्ट में ही खाली किए जा रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई न होने की वजह से ऐसे टैंकर चालक बाज नहीं आ रहे हैं। इस वजह से इसका सीधा असर किसानों के खेतों तक पहुंच रहा है क्योंकि इन सभी नहरों के पानी से ही सैकड़ों एकड़ फसलों की सिचाई होती है। ग्रेफ में भी बुरा हाल
ऐसा ही हाल ग्रेटर फरीदाबाद का भी है। यहां भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। इसलिए विभिन्न सोसायटियों से निकलने वाला सीवर का पानी टैंकरों के माध्यम से सीधा नहर में डाला जा रहा है। इसके अलावा कुछ फैक्ट्रियों से भी केमिकलयुक्त पानी नहर में डाला जाता है। यही कारण है कि आगरा नहर का पानी काला रहता है। गुरुग्राम व आगरा नहर हो रही दूषित
आगरा व गुरुग्राम नहर में सीवर का पानी डाले जाने से यह दूषित हो रही हैं। गुरुग्राम नहर ही आगे जाकर सोहना से होते हुए नूंह और राजस्थान के अलवर को जाती है। इसी तरह से आगरा नहर फरीदाबाद से पलवल होते हुए आगरा तक जाती है। इस तरह अकेले फरीदाबाद ही नहीं बल्कि गुरुग्राम, सोहना, नूंह, अलवर और इधर पलवल, मथुरा आगरा के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे पानी से फसलों को नुकसान होता है, जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। यमुना नदी सहित नहरों में बगैर ट्रीट किया हुआ सीवर का पानी डालने को लेकर एनजीटी भी सख्त है। इसके बावजूद अधिकारी अलर्ट नहीं हैं। इस तरह की कोई शिकायत हमारे पास नहीं आई है। नहरों में बिना साफ किया हुआ गंदा पानी नहीं डाला जा सकता। यदि कोई टैंकर चालक ऐसा कर रहा है तो कार्रवाई जरूर होगी।
-वीएस रावत, कार्यकारी अभियंता, सिचाई विभाग