परंपरा को दरकिनार महिलाएं शामिल हुई शहीद के अंतिम संस्कार में
सदियों पुरानी परंपरा छोड़ अटाली गांव के शहीद बेटे संदीप ¨सह की अंतिम यात्रा में न केवल महिलाएं शामिल हुई बल्कि शमशान घाट जाकर अश्रुओं की धाराओं के बीच विदाई भी दी। हों भी क्यों न, आज पूरा देश संदीप की शहादत को सलाम कर रहा है। श्री नगर सर्च ऑपरेशन में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए संदीप ¨सह की अंतिम यात्रा में हुजुम इतना था कि कई किलोमीटर तक अंतिम यात्रा में लोग दिखाई दे रहे थे। परंपरा रही है कि अंतिम यात्रा में महिलाएं शामिल नहीं होती, पर अटाली गांव में इसकी किसे फिक्र थी,
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सदियों पुरानी परंपरा छोड़ अटाली गांव के शहीद बेटे संदीप ¨सह की अंतिम यात्रा व अंतिम संस्कार में महिलाएं शामिल हुई और आंखों में आंसुओं के बीच विदाई दी। हों भी क्यों न, जब पूरा देश संदीप की शहादत को सलाम कर रहा है, तो इन महिलाओं ने भी सामाजिक कुरीति को तोड़ आगे बढ़ते हुए अपने वीर को सलामी दी।
श्रीनगर सर्च ऑपरेशन में आतंकवादियों से लोहा लेते शहीद हुए संदीप ¨सह की अंतिम यात्रा में हुजूम इतना था कि कई किलोमीटर तक अंतिम यात्रा में लोग दिखाई दे रहे थे। परंपरा रही है कि अंतिम यात्रा व संस्कार में महिलाएं शामिल नहीं होती, पर अटाली गांव की महिलाओं को यह बंधन बांध नहीं सका। बस जुनून था कि ऐसा मौका सौभाग्यशालियों को मिलता है।
देशभक्ति से परिपूर्ण और शहीद के प्रति माहौल ही कुछ ऐसा बना कि सभी के कदम अंतिम यात्रा की ओर ¨खचते चले गए। फिर चाहे बच्चे, बूढ़े, जवान व महिलाएं हों, सभी अंतिम दर्शनों के लिए लालायित दिखाई दिए। इस दौरान मौजूद गांव के सरपंच प्रहलाद ¨सह, सुभाष चौधरी, राजेश ने कहा आज हमने देशभक्त बेटा बेशक खो दिया है, पर उसकी शहादत को सदियों तक याद रखा जाएगा। हर आंख से बहते आंसू शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं, तो वहीं दिल में भरा आक्रोश केवल बदले की मांग कर रहा है।