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संक्रमित होने का महसूस किया दर्द, अब प्लाज्मा देकर बचा रहे जान

कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोग अब प्लाज्मा देने के लिए आगे आने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 08:11 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 06:13 AM (IST)
संक्रमित होने का महसूस किया दर्द, अब प्लाज्मा देकर बचा रहे जान
संक्रमित होने का महसूस किया दर्द, अब प्लाज्मा देकर बचा रहे जान

अभिषेक शर्मा, फरीदाबाद

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कोरोना को मात देकर ठीक हुए लोग अब प्लाज्मा देने के लिए आगे आने लगे हैं। एक-दूसरे को देखा-देखी उनमें भी प्लाज्मा देने के लिए सकारात्मक सोच आने लगी है। कोरोना को मात देने के बाद अब 13 लोग अन्य संक्रमितों के इलाज के लिए प्लाज्मा दे चुके हैं, जो 10 मरीजों को चढ़ाया जा चुका है। पांच मरीज प्लाज्मा थेरेपी से बिल्कुल स्वस्थ भी हो चुके हैं और अब वह सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज को कोरोना मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी की अनुमति दी है। शुरुआत में स्वस्थ होने वाले प्लाज्मा देने के लिए अस्पताल आने में घबराते थे। उन्हें दोबारा से कोरोना संक्रमण का खतरा सताता है, लेकिन अब स्वस्थ होने वाले लोगों में कोरोना के संक्रमण का डर कम होता जा रहा है। वे स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए आगे आने लगे हैं। वहीं ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद उन्हें भी जरूरत पड़ने पर प्लाज्मा देने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। होती है काउंसलिग

ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज होने के बाद मरीज को 14 दिन बाद फोन किया जाता है और उन्हें प्लाज्मा देने के लिए काउंसलिग की जाती है। काउंसलिग के दौरान प्लाज्मा देने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में संबंधित व्यक्ति को अवगत कराया जाता है, ताकि उसके मन से दोबारा से संक्रमित होने का भय समाप्त हो सके। प्लाज्मा देने के बाद ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से कोरोना योद्धा को सम्मानित भी किया जाता है।

वर्जन..

हमारी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक लोगों को प्लाज्मा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। कोरोना संक्रमण से मुक्त होने पर 14 दिन बाद संबंधित की फोन पर काउंसलिग की जाती है। अभी तक 13 मरीज प्लाज्मा दे चुके हैं।

-डॉ.एके पांडेय, डिप्टी डीन, ईएसआइसी मेडिकल कॉलेज कोरोना से स्वस्थ होने वाले प्रत्येक व्यक्ति से अपील है कि वे प्लाज्मा देने के लिए आगे आएं। प्लाज्मा देना रक्तदान जैसा है। इसमें केवल रक्त में मौजूद पीले पानी को मरीज के शरीर में चढ़ाया जाता है। इससे संक्रमित व्यक्ति में कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने की क्षमता आ जाती है।

- डॉ.पुनीता हसीजा, अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, फरीदाबाद शाखा --------

मुझे गर्व है कि मेरे द्वारा दिया गया प्लाज्मा कोरोना संक्रमित के ठीक होने में काम आया। प्लाज्मा देने के बाद कोई कमजोरी नहीं हुई थी। पहले की तरह सामान्य जीवन व्यतीत कर रहा हूं। सबसे अच्छी बात यह है कि ठीक होने वाला व्यक्ति महीने में एक बार प्लाज्मा दे सकता है। इस सामाजिक कार्य में कोरोना को मात देने वाले लोगों को सहयोग करना चाहिए।

-संजीव शर्मा, प्लाज्मा डोनर, सेक्टर-28


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