Faridabad: 107 वर्षीय महिला की हुई सफल एंजियोप्लास्टी, मिला नया जीवन
Faridabad News एसएसबी अस्पताल के प्रबंध निदेशक और हृदय रोग विशेषज्ञ डा.एसएस बंसल के लिए उनके चिकित्सीय जीवन का यह एक अलग तरह का मामला था जब 107 वर्षीय गांव कोट की अशरफी नामक महिला को अस्पताल में लाया गया।
फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। एसएसबी अस्पताल के प्रबंध निदेशक और हृदय रोग विशेषज्ञ डा.एसएस बंसल के लिए उनके चिकित्सीय जीवन का यह एक अलग तरह का मामला था, जब 107 वर्षीय गांव कोट की अशरफी नामक महिला को अस्पताल में लाया गया। पूर्व सैनिक के परिवार से जुड़े स्वजन ने बताया गया कि महिला को सीने में दर्द होने की शिकायत पर लाया गया है।
डॉ. बंसल के अनुसार महिला की जांच करने पर पता चला कि उसे हार्ट अटैक आया है। इस पर बिना समय गंवाए वयोवृद्ध महिला को कैथ-लैब में एंजियोग्राफी प्रक्रिया के लिए ले जाया गया। इसमें पता चला कि एलएडी नस 99 प्रतिशत ब्लाक थी, जिससे दिल का दौरा पड़ा।
डॉ. एसएस बंसल के अनुसार यह उनके लिए कठिन चुनौती थी, क्योंकि महिला 100 साल से अधिक उम्र की थी। महिला के स्वजन की सहमति के बाद बैलून प्रक्रिया और स्टेंट से नस को खोला गया। इसके बाद उनकी स्थिति में सुधार होने लगा। उन्हें एक दिन के कोरोनरी केयर यूनिट में निगरानी में रखा गया। महिला की हालत अब स्थिर है।
डॉ. बंसल के अनुसार यह समाज को जागरूक करने वाला मामला है कि अगर समय रहते हार्ट अटैक की पहचान कर मरीज को तुरंत हार्ट सेंटर वाले नजदीकी अस्पताल पहुंचाया जाए और एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग द्वारा हृदय की अवरूद्ध धमनी को खोल दिया जाए तो वयोवृद्ध रोगियों को भी बचाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि गैर-सर्जिकल दिल के दौरे के उपचार में तकनीक इतनी उन्नत हो गई है कि विश्व के अच्छे केन्द्रों में एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग के गैर-सर्जिकल तरीकों से बहुत बुजुर्ग हृदय रोगियों का भी सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। दिल के दौर के आपातकालीन उपचार के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है और यह एसएसबी हार्ट एवं मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।