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टीबी पर काबू पाने के लिए जिला प्रशासन ने कसी कसर, हजारों मरीजों को मिलेगी राहत

जिला टीबी नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी डॉ.शीला भगत ने बताया टीबी के मरीज अगर सही समय पर दवा लें तो पूरी तरह टीबी से मुक्त हो सकते हैं। दवा लेने के मामले में लापरवाही बरतने पर ही दिक्कत होती है। कई मरीजों को लगता है कि वह ठीक हो गए हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 03:35 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 03:35 PM (IST)
टीबी पर काबू पाने के लिए जिला प्रशासन ने कसी कसर, हजारों मरीजों को मिलेगी राहत
फरीदाबाद जिला नागरिक अस्पताल की फाइल फोटोःजागरण

फरीदाबाद [अनिल बेताब]। जिला स्वास्थ्य विभाग ने टीबी पर काबू पाने के लिए निजी डाक्टरों की मदद लेनी शुरू की है। सरकारी टीबी यूनिटों के साथ ही निजी डाक्टरों के यहां आने वाले टीबी मरीजों का डाटा तैयार किया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य सभी सरकारी तथा निजी डाक्टरों से इलाज कराने वाले टीबी मरीजों को समय रहते पूरी तरह स्वस्थ करने का है।

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थोड़ा सा ठीक होने के बाद टीबी के कई मरीज इलाज के दौरान बीच में ही दवा लेना बंद कर देते हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार टीबी के 4 फीसद मरीजों को लापरवाही के चलते नए सिरे से दोबारा इलाज कराना पड़ता है।

टीबी नियंत्रण अभियान को मिलने लगा बल

केंद्र के संशोधित राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त किए जाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस लक्ष्य के तहत स्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में एक निजी संस्था की ओर से जीत प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। प्रोजेक्ट के तहत निजी संस्था के सदस्य निजी डाक्टरों से संपर्क करके टीबी मरीजों की केस हिस्ट्री तैयार कर जिला टीबी यूनिट को उपलब्ध करा रहे हैं। इससे टीबी यूनिट के पास हर टीबी मरीज का डाटा उपलब्ध हो जाएगा। इससे टीबी नियंत्रण अभियान को बल मिलेगा। अब तक 20 निजी डाक्टर जिला टीबी यूनिट से जुड़े हैं। अन्य डाक्टरों को जोड़ने का अभियान जारी है, जो टीबी मरीजों के बारे में हर सप्ताह जिला टीबी यूनिट को जानकारी देंगे।

जिला टीबी नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी डॉ.शीला भगत ने बताया टीबी के मरीज अगर सही समय पर दवा लें, तो पूरी तरह टीबी से मुक्त हो सकते हैं। दवा लेने के मामले में लापरवाही बरतने पर ही दिक्कत होती है। कई मरीजों को लगता है कि वह ठीक हो गए हैं। डाक्टर की सलाह के बिना इलाज कराना बंद कर देते हैं। यह ठीक नहीं है। न अपनी मर्जी से दवा लें और न ही छोड़ें। निजी डाक्टरों से भी टीबी मरीजों की पूरी रिपोर्ट मंगवाई जा रही है। हमारे सुपरवाइजर हर मरीज पर निगरानी रखते हैं। मरीजों के घरों तक दवाई पहुंचाई जाती है। कोरोना संकट के दौर में हम टीबी मरीजों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन डॉ.पुनीता हसीजा ने बताया हमारे सभी सदस्य टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला स्वास्थ्य विभाग को सहयोग कर रहे हैं। टीबी, कोरोना संदिग्ध या अन्य कोई गंभीर बीमारी का मरीज निजी डाक्टरों के पास आता है, तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को सूचित किया जाता है।

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