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अच्‍छी पहल: आत्‍मनिर्भर बन रहीं ग्रामीण महिलाएं, प्रशिक्षण देकर नाबार्ड सुधार रहा जीवन

नाबार्ड की ओर से नहर पार के गांव नचौली मुजैड़ी मंझावली रायपुर अहमदपुर जसाना भूपानी पलवली लालपुर तथा महावतपुर में करीब 125 स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। एक समूह में 10 से 12 महिलाएं इस ट्रेनिंग प्रोग्राम से जुड़ी हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 23 Sep 2020 08:06 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 08:08 PM (IST)
अच्‍छी पहल: आत्‍मनिर्भर बन रहीं ग्रामीण महिलाएं, प्रशिक्षण देकर नाबार्ड सुधार रहा जीवन
फरीदाबाद नाबार्ड की ओर से प्रशिक्षण कार्यक्रम। फोटो- अनिल बेताब।

फरीदाबाद [अनिल बेताब]। राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण एवं विकास बैंक (नाबार्ड) के सौजन्य से जिले में सिलाई, फैशन डिजाइनिंग, ब्यूटी पार्लर तथा जूट बैग बनाने का प्रशिक्षण देकर ग्रामीण महिलाओं के जीवन स्तर को संवारा जा रहा है। प्रशिक्षण के बाद नाबार्ड की ओर से महिलाओं को ऋण भी उपलब्ध कराया जाएगा। इस तरह स्वावलंबी बनने से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ रहा है। नाबार्ड की ओर से नहर पार के गांव नचौली, मुजैड़ी, मंझावली, रायपुर, अहमदपुर, जसाना, भूपानी, पलवली, लालपुर तथा महावतपुर में करीब 125 स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। एक समूह में 10 से 12 महिलाएं जुड़ी हैं।

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बाजार भी उपलब्ध कराएंगे

नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक विनय कुमार त्रिपाठी के अनुसार जिले के अलग-अलग गांवों में जब महिलाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरे हो जाएंगे, तो उनके बैंक खाते खुलवाए जाएंगे। कारोबार को बढ़ावा देने को बाजार उपलब्ध कराया जाएगा। इन महिलाओं को बचत की योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। कारोबार को पूरी तरह स्थापित करने तक नाबार्ड लगातार दो वर्ष तक स्वयं सहायता समूह का पूरा साथ देगा। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से पहले तो कई जगह मेले तथा प्रदर्शनियों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को बाजार उपलब्ध कराया जाता था। अब ऑनलाइन बाजार देने का प्रयास किया जा रहा है। नाबार्ड से जुड़े बहुत से समूह फरीदाबाद के अलावा पलवल के गांवों में जूट बैग बनाते हैं। उन्होंने कहा कि नाबार्ड की ओर से 4 अक्टूबर को जिले में कौशल विकास कार्यक्रम भी आयोजित किया जा रहा है।

कई महिलाओं का संवरा जीवन

लक्ष्य ग्रामीण विकास संस्था की सचिव गीता सिह बताती हैं कि नाबार्ड से जुड़ने के बाद कई महिलाएं स्वावलंबी बनी हैं। बिना पूंजी लगाए  महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। कई गांवों की महिलाएं आज प्रशिक्षण पाने के बाद 8 से 10 हजार रुपये प्रति माह कमा रही हैं। गीता के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान स्वस्थ समाज सरोकार के तहत महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी किया जाता है।

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