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Haryana: डेढ़ साल में 150 बच्चों को ढूढ़ चुके हैं ASI अमर सिंह, दिल्ली पुलिस भी लेती है इनकी मदद

एएसआइ अमर सिंह करीब डेढ़ साल से स्टेट क्राइम ब्रांच की लापता बच्चों को ढूंढने वाली सेल में तैनात हैं। अब तक वे करीब 150 बच्चों को उनके स्वजन से मिला चुके हैं। इस बार दीपावली के दौरान एक बच्चे का परिवार ढूंढने के लिए वे लखनऊ में थे।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 06:24 PM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 06:24 PM (IST)
Haryana: डेढ़ साल में 150 बच्चों को ढूढ़ चुके हैं ASI अमर सिंह,  दिल्ली पुलिस भी लेती है इनकी मदद
एएसआइ अमर सिंह और सिपाही चांद कर्तव्य के प्रति समर्पित

फरीदाबाद [हरेंद्र नागर]। दिल्ली पुलिस की एएसआइ सीमा ढाका दो दिन से इंटरनेट मीडिया पर छाई हुई हैं। दिल्ली पुलिस ने इस साल 14 साल से कम उम्र के 50 से अधिक बच्चों को ढूंढने वाले पुलिसकर्मियों को आउटआफ टर्न प्रमोशन देने की योजना शुरू की थी। इसके तहत प्रमोट होने वाली सीमा ढाका पहली पुलिसकर्मी हैं। उन्हें एचसी से एएसआइ बनाया गया है। फरीदाबाद में भी दो ऐसे पुलिसकर्मी हैं जो लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलाने में जी-जान से जुटे हैं। दिल्ली पुलिस भी इस काम में इनकी मदद लेती है। ये पुलिसकर्मी स्टेट क्राइम ब्रांच में तैनात एएसआइ अमर सिंह और फरीदाबाद पुलिस की मिसिंग सेल में तैनात सिपाही चांद हैं।

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एएसआइ अमर सिंह करीब डेढ़ साल से स्टेट क्राइम ब्रांच की लापता बच्चों को ढूंढने वाली सेल में तैनात हैं। अब तक वे करीब 150 बच्चों को उनके स्वजन से मिला चुके हैं। अमर सिंह ने बताया कि कुछ मामलों में माता-पिता आते हैं और अपने बच्चे को ढूंढने में मदद मांगते हैं। कुछ मामलों में बच्चे भटकते हुए मिलते हैं और पुलिस उन्हें शेल्टर होम भेज देती है। इसके बाद शेल्टर होम उनसे बच्चों के माता-पिता को ढूंढने में मदद मांगते हैं।

दिल्ली सहित दूसरे राज्यों की पुलिस भी उनसे अपने क्षेत्र के बच्चों की तलाश के लिए मदद मांगती है। वे वाट्स-एप, फेसबुक व ट्विटर जैसे इंटरनेट मीडिया की सहायता से अपने कार्य को अंजाम देते हैं। उन्होंने बताया कि कई ऐसे ग्रुप हैं जिनके माध्यम से वे एक बार में 15 से 20 लाख लोग तक सूचना पहुंचा देते हैं। उनका पूरा दिन इसी काम में लगता है। कई बार बच्चों या उनके परिवार ढूंढने के लिए उन्हें दूसरे राज्यों में भी जाना पड़ता है। इसलिए वे त्योहार भी घर पर नहीं मना पाते।

इस बार दीपावली के दौरान एक बच्चे का परिवार ढूंढने के लिए वे लखनऊ में थे। सिपाही चांद साल 2015 से मिसिंग सेल में तैनात हैं। वे भी अब तक करीब 200 बच्चों को उनके स्वजन से मिला चुके हैं। बच्चों के अलावा वे अज्ञात मिलने वाले शव की पहचान में भी बेहद तत्परता से काम करते हैं।

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