गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के गोल्डन सफर में हरियाणा के इस IPS का रहा अहम योगदान, जानिए कैसे की थी मदद
टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के शुरुआती सफर में पुलिस आयुक्त (सीपी) आइपीएस ओपी सिंह का भी अहम योगदान रहा है। पुलिस आयुक्त ओपी सिंह के लिए यह कार्य रुटीन का हिस्सा था इसलिए इस वाकये को वे भुला चुके थे।
फरीदाबाद [हरेंद्र नागर। टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ी नीरज चोपड़ा के शुरुआती सफर में पुलिस आयुक्त (सीपी) आइपीएस ओपी सिंह का भी अहम योगदान रहा है। पंचकूला में नीरज के शुरुआती कोच रहे नसीम अहमद ने एक साक्षात्कार में बताया है कि साल 2011 में पानीपत से नीरज सहित तीन अन्य खिलाड़ी सीजन के बीच में उनके पास अकेडमी में आए थे। तब आइपीएस ओपी सिंह प्रदेश के खेल निदेशक थे। उन्होंने सभी कोच को निर्देश दिया था कि प्रतिभावान खिलाड़ियों को सीजन के बीच में भी अकेडमी में प्रवेश दिया जाए और उनके रहने व खुराक का भी प्रबंध करें।
इसलिए नसीम अहमद ने बिना सोचे सीजन के बीच में भी नीरज व उनके साथियों को अकेडमी में प्रवेश दे दिया। कोच नसीम अहमद बताते हैं कि उनके पास अकेडमी में प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त जैवलीन (भाले) नहीं थे। उन्होंने इस बारे में तत्कालीन खेल निदेशक ओपी सिंह को बताया।
ओपी सिंह एक दिन में ही 90 हजार रुपये जैवलीन खरीदने के लिए बजट पास कर दिया। इस बात को नसीम अहमद आज भी नहीं भूले हैं, क्योंकि उस समय खेल विभाग बजट पास कराना टेढ़ी खीर होता था। बजट बनाकर भेजा जाता था, उसे पास होने में कई महीने लग जाते थे, मगर ओपी सिंह ने एक दिन में ही बजट पास करके जैवलीन का प्रबंध करा दिया था। इन्हीं जैवलीन से नीरज व उसके साथियों के प्रशिक्षण का सफर शुरू हुआ।
फरीदाबाद के पुलिस आयुक्त ओपी सिंह की फाइल फोटो)
पुलिस आयुक्त ओपी सिंह के लिए यह कार्य रुटीन का हिस्सा था, इसलिए इस वाकये को वे भुला चुके थे। अब जब नीरज ने गोल्ड जीता को कोच नसीम अहमद ने ओपी सिंह को याद दिलाया कि उनके दिए जैवलीन से ही नीरज का सफर शुरू हुआ था। बता दें कि खेल निदेशक रहते हुए आइपीएस ओपी सिंह ने खेल के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की थीं। वे साल 2008 से 2012 तक इस पद पर रहे।
इस संबंध में पुलिस आयुक्त ओपी सिंह का कहना है कि खिलाड़ियों के लिए जैवलीन का प्रबंधक करके मैंने ऐसा कोई हटकर कार्य नहीं किया था। प्रतिभावान खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और उनके लिए उपकरण का प्रबंध करना मेरी ड्यूटी थी। मैंने केवल अपनी ड्यूटी पूरी की। नीरज अपनी मेहनत व काबिलियत के बल पर इस मुकाम तक पहुंचे हैं।