PM 2.5 का स्तर पहुंचा 576 के खतरनाक स्तर पर, पटाखे पर बैन दिखा बेअसर Faridabad News
वायु में पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया। एयर क्वालिटी इंडेक्स उच्चतम 576 रिकार्ड किया जबकि न्यूनतम 151 रहा।
फरीदाबाद [ सुशील भाटिया]। दिवाली की रात बारूद वाले परंपरागत पटाखे जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध था। सिर्फ ग्रीन पटाखे चलाए जा सकते थे, पर इन आदेशों की औद्योगिक नगरी में धज्जियां उड़ती नजर आई। देर रात तक खूब पटाखे छोड़े गए। इससे हवा जहरीला हो गई और बीमार, असहाय, बच्चों व बुजुर्गों को सांस लेने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
वायु में पीएम 2.5 का स्तर खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया। एयर क्वालिटी इंडेक्स उच्चतम 576 रिकार्ड किया, जबकि न्यूनतम 151 रहा। दिवाली की अगली सुबह यानी सोमवार को कार्य दिवस था और जब नौकरी-पेशा व व्यापारिक गतिविधियों के लिए लोग घरों से बाहर निकले, तो उन्हें बेहद प्रदूषित हवा में से निकलना पड़ा। दिवाली की शाम ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती चली गई, उसी अनुरूप हवा में पीएम 2.5 का स्तर भी बढ़ता चला गया।
शाम छह बजे तक यह 93 था, जो संतोषजनक कहा जाता है, उसके एक घंटे बाद पीएम 2.5 का ग्राफ 153 पर पहुंचा, जो ठीक तो नहीं पर मध्यम कहा जाता है, पर इसके बाद तो यह हर घंटे खतरनाक स्थिति में पहुंचता चला गया।
अगली सुबह शहर के प्रमुख मार्गों पर सड़क पर से गुजरते हुए विभिन्न घरों के बाहर जले हुए पटाखों के अवशेष और राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्मॉग देखने पर साफ था कि पटाखे जलाने वालों ने किस तरह से उन लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
पिछली बार के आसपास ही रहा स्तर
गत वर्ष दिवाली सात नवंबर की थी। तब दिवाली वाले दिन दोपहर को प्रदूषण का स्तर यानी पीएम 2.5 की मात्रा 251 और अगले दिन यानी आठ नवंबर की दोपहर को 424 रिकार्ड किया गया था। अब दिवाली वाले वाले दिन 313 और दिवाली के अगले दिन दोपहर को 343 रिकार्ड किया गया।
इस बार जारी नहीं किए गए थे लाइसेंस
हरियाणा में दिवाली से ठीक छह दिन पहले विधानसभा चुनाव थे और उसके बाद 24 अक्टूबर को मतगणना हुई। चुनावी प्रक्रिया के चलते इस बार सामान्य पटाखों के लाइसेंस जारी ही नहीं किए गए थे, वहीं ग्रीन पटाखों के बारे में न तो प्रशासनिक अधिकारियों के पास कोई दिशा निर्देश थे और न ही उनके अधीनस्थ स्टाफ को इस बारे में कुछ जानकारी थी।
पिछले वर्ष को छोड़ कर विगत वर्षों में प्रशासन शहर में विभिन्न खुले मैदानों को चिन्हित कर वहां पटाखे बिक्री के लिए लाइसेंस जारी करता रहा है। बाजार में भी ग्रीन पटाखे उपलब्ध नहीं थे। ऐसे में वर्षों से पटाखा कारोबार से जुड़े लोगों ने चोरी छिपे खूब पटाखे बेचे और वह भी मुंह मांगे दामों पर। हाल यह था कि 50 रुपये की फुलझड़ी का पैकेट भी 150 से 200 रुपये में बिका। राकेट व सूतली बम का तो एक-एक पीस ही 50 से 100 रुपये के बीच बिका।
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