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मिसाल : हजारों महिलाओं के लिए मसीहा बने फरीदाबाद जिला कार्यक्रम प्रबंधक शिवम तिवारी, बनाया आत्मनिर्भर

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ओर शिवम तिवारी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। समय-समय पर बैठक लेकर महिलाओं का उत्साहवर्धन करते रहते हैं। इसी वजह से आज जिले के 95 गांवों में 1100 महिला स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 12:17 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 12:17 PM (IST)
मिसाल : हजारों महिलाओं के लिए मसीहा बने फरीदाबाद जिला कार्यक्रम प्रबंधक शिवम तिवारी, बनाया आत्मनिर्भर
फरीदाबाद जिला कार्यक्रम प्रबंधक शिवम तिवारी की फाइल फोटो।

फरीदाबाद [प्रवीन कौशिक]। चूल्हे के साथ-साथ अब महिलाएं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर रही हैं, कंप्यूटर पर काम कर रही हैं। अटल सेवा केंद्र भी चला रही हैं। इतना ही नहीं, घर-घर जाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दिए गए सर्वे का काम भी कर रही हैं। यह सब संभव हो सका है हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद। इस समूह को लीड कर रहे हैं जिला कार्यक्रम प्रबंधक शिवम तिवारी। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ओर शिवम तिवारी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। समय-समय पर बैठक लेकर महिलाओं का उत्साहवर्धन करते रहते हैं। इसी वजह से आज जिले के 95 गांवों में 1100 महिला स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं। लगातार समूह से महिलाएं जुड़ रही हैं। फिलहाल 10 हजार महिलाएं समूह से जुड़ चुकी हैं। काफी ऐसी महिलाएं भी हैं, जिन्हाेंने आत्मनिर्भर बनकर परिवार को संभाल लिया है।

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निरक्षर महिलाओं का भी बढ़ाया आत्मबल

इस समूह में काफी ऐसी महिलाएं हैं जो कम पढ़ी लिखी हैं तो कुछ को प्रशासनिक कामकाज का कम ज्ञान है। कुछ को कंप्यूटर चलाना नहीं आता था, लेकिन आज इन सभी महिलाओं में काफी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। इन्हें हौसला देने का काम कर रहे हैं शिवम तिवारी। अब यही महिलाएं स्वयं सहायता समूह से जुड़कर न केवल खुद कमाई कर आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अब औरों को भी इसी राह पर चलने के लिए प्रेरित कर रही हैं। एक-एक महिला को जोड़कर 10,000 महिलाओं का अच्छा खासा समूह खड़ा कर दिया गया है। शिवम तिवारी बताते हैं कि 2014 से शुरू हुए इस मिशन को उन्होंने अपना भी मिशन बना लिया था। अब महिलाएं बैंक में लेन-देन से लेकर अन्य काम आसानी से कर रही हैं। उन्होंने बताया कि इन महिलाओं की काउंसलिंग की जाती है, इन्हें काम करना सिखाया जाता है, घर की दहलीज पार कर शहर में आना-जाना और बैठकों में भाग लेने के बारे में बताया जाता है। उनका फोकस है कि हर जरूरतमंद महिलाएं समूह से जुड़े और आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने बताया कि समूह के अंतर्गत अचार, पापड़, मुरब्बा, कैंटीन का अन्य सामान बनाया जाता है। साथ ही कृत्रिम गहने, मैकरम, झूमर, बैग,मिट्टी से बनी हुई सजावटी चीजें, खिलौने सहित अन्य उत्पाद बनाने का काम किया जाता है।अभी इन महिलाओं को ग्रामीण अंचल में होने वाले सभी प्रकार के सर्वे कराने की भी जिम्मेदारी दी जा रही है ताकि इनकी आमदनी हो सके और बहुत कुछ सीखने को मिले।

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