Move to Jagran APP

दुनिया को अलविदा कहने के बाद भी किसी के जिस्म में धड़कना चाहते हैं रविंद्र

Faridabad boy Ravindra Jadhav 26 साल के रविंद्र जाधव के फैसले से उनके तीन मित्र भी प्रभावित हुए हैं और उन्होंने रविंद्र की तरह देहदान करने का फैसला किया है। उनके मित्र महाराष्ट बिहार और जम्मू रहते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 21 Nov 2020 01:05 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 03:30 PM (IST)
दुनिया को अलविदा कहने के बाद भी किसी के जिस्म में धड़कना चाहते हैं रविंद्र
रविंद्र ने मोहन फाउंडेशन का फार्म भरकर देह दान की शपथ ली है।

फरीदाबाद [अभिषेक शर्मा]। 26 वर्ष की आयु में युवा अपने करियर को बेहतर बनाने दिशा में कार्य करते हैं। दिन रात मेहनत करते भविष्य को सुरक्षित करने की भागदौड़ में लगे रहते हैं। जीवन को रोमांच करने के बारे में सोचते रहते हैं। उस आयु में फरीदाबाद सेक्टर तीन में रहने वाले रविंद्र जाधव ने मरणोपरांत देह दान करने का फैसला किया है। मृत्यु के बाद भी इस दुनिया में किसी अनजान हृदय में धड़कनें, तो किसी आंखों का सहारा बनकर दुनिया को देखने की चाह में रविंद्र ने मोहन फाउंडेशन का फार्म भरकर देह दान की शपथ ली है। रविंद्र केनरा बैंक में सहायक प्रबंधक के तौर पर कार्य करते हैं।

prime article banner

रविंद्र ने बताया कि वह सामाजिक कार्याें में सक्रिय रहते हैं और काफी समय से देहदान के बारे में सोच रहे थे। इस लेकर काफी पढ़ाई एवं रिसर्च करने के बाद देहदान करने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि परमपराओं एवं मान्यताओं की वजह से देश में अभी देहदान को लेकर जागरूकता नहीं है। इस वजह से बहुत कम लोग ही देहदान करते हैं और जरूरतमंदों को तीन-चार वर्षों तक अंगों के लिए इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि पुणे यूनिवर्सिटी कंप्यूटर इंजीनियरिंग की और एमबीए करने के बाद बैंंक की नौकरी में आ गए। रविंद्र के फैसले से उनके तीन मित्र भी प्रभावित हुए हैं और उन्होंने रविंद्र की तरह देहदान करने का फैसला किया है। उनके मित्र महाराष्ट, बिहार और जम्मू रहते हैं।

प्लाज्मा देकर बचाई है

बैंक की नौकर होने की वजह से लोगों से मिलना पड़ता है। इस दौरान किसी के संपर्क में आने से जुलाई में संक्रमित हो गए थे। ठीक होने के बाद एक बार प्लाज्मा दान करके कोरोना संक्रमित के जीवन की रक्षा करने में अहम योगदान भी दिया है। रविंद्र ने बताया कि उन्होंने केवल रक्तदान और नेत्रदान के बारे में ही विचार किया था, लेकिन फार्म भरते समय देहदान का निर्णय लिया।

स्वजन थे स्तब्ध

रविंद्र ने बताया कि उनके पिता का नाम रामचंद्र जाधव व माता सुरेखा जाधव हैं। वह तीन बहनों में अकेले भाई है। घर में सबसे छोटे होने की वजह से बहुत लाडले भी हैं। उनके देहदान के बारे में जब स्वजनों को पता चला, तो स्तब्ध रह गए थे और ऐसा नहीं करने के लिए कहते रहे। रविंद्र देहदान का दृढ़ निश्चय कर चुके थे। इस वजह से स्वजनों को भी सहमत होना पड़ा। 

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.