60 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराएं: डा. रणदीप गुलेरिया
एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलरिया ने कोरोना के मरीजों के लिए एंबुलेंस व्यवस्था दुरुस्त करने पर जोर दिया। उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश श्योकंद से एंबुलेंस की उपलब्धता पर सवाल-जवाब किए। पूछा कि काल आने पर मरीज को कितने मिनट में एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाती है।
फरीदाबाद, जागरण संवाददाता। कोरोना नियंत्रण के लिए जरूरी है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया जाए। ऐसे मरीजों को होम आइसोलेशन में न रखा जाए। घर में अगर एक मरीज है, तो अन्य सदस्यों की भी जांच होनी चाहिए। संवेदनशील क्षेत्रों पर निरंतर निगरानी रखी जाए। मरीजों को रेफर करने के लिए एंबुलेंस व्यवस्था दुरुस्त की जाए। कान्टेक्ट ट्रेसिंग सिस्टम पर भी जोर देने की जरूरत है। होम आइसोलेशन और अस्पताल में भर्ती किए जाने वाले मरीजों की श्रेणी तय की जाए। कोरोना को काबू करने तथा जिले की स्थिति जानने के मकसद से जिला उपायुक्त कार्यालय में समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई थी।
बैठक में आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइसेंस, एम्स)दिल्ली के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने स्थिति का जायजा लिया, साथ ही कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह को देखते हुए बेहतरी के लिए कुछ उपाय भी बताए।
जिला उपायुक्त डा. यशपाल यादव, निगमायुक्त डा. यश गर्ग, इएसआइ मेडिकल कालेज व अस्पताल के डीन डा.असीम दास, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रणदीप पूनिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डा. संजीव तंवर ने शहर के हालात की जानकारी दी। कोरोना नियंत्रण को लेकर चल रही गतिविधियों के बारे में बताया। डा. संजीव तंवर ने बताया कि जिले में सोमवार शाम तक जो 305 मौते हुई हैं, उनमें से 60 फीसद से अधिक लोग 60 वर्ष से अधिक उम्र के थे।
डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि लगातार बढ़ रहे कोरोना के मामले और मौतें चिंताजनक हैं। इसलिए भीड़भाड़ वाली मार्केट, विवाह समारोह तथा स्लम आबादी पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोरोना के अधिकांश मरीज भले ही होम आइसोलेशन में रहना पसंद करते हों, लेकिन सोसायटी के हित को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को काम करना होगा। उन्होंने कहा कि जब शहर के कोविड सेंटर खाली पड़े हैं, तो ऐसे में मरीजों को सेंटर तक लाना चाहिए।
उपायुक्त यशपाल यादव ने बताया कि पूरे जिले में घर-घर सर्वे कराया गया है। कोरोना के मामले में संवेदनशील क्षेत्रों में बराबर नजर रखी जा रही है। स्वास्थ्य कर्मी औशर आशा वर्कर भी इस अभियान में जुटे हुए हैं। निगमायुक्त डा. यश गर्ग तथा डीसीपी मुख्यालय अर्पित जैन ने बिना मास्क के शहर में घूमने वाले लोगों के चालान काटने के बारे में जानकारी दी। बैठक में सफदरजंग अस्पताल, दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारी डा. संजय, डा. यूबी दास, डप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रामभगत, डॉ. हरीश आर्य, डा. शीला भगत तथा डा. नरेंद्र कौर भी विशेष रूप से मौजूद रहे।
निदेशक ने एंबुलेंस की उपलब्धता पर किए सवाल-जवाब
एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलरिया ने कोरोना के मरीजों के लिए एंबुलेंस व्यवस्था दुरुस्त करने पर जोर दिया। उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश श्योकंद से एंबुलेंस की उपलब्धता पर सवाल-जवाब किए। पूछा कि काल आने पर मरीज को कितने मिनट में एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाती है। डा. राजेश श्योकंद ने बताया कि विभाग के पास कोविड नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 13 एंबुलेंस हैं। अगर किसी मरीज को स्वास्थ्य केंद्र से नागरिक अस्पताल या कोविड सेंटर तक लाना होता है, तो 15 से 20 मिनट में एंबुलेंस का इंतजाम कर दिया जाता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रणदीप पूनिया ने कहा कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सा अधिकारियों को हिदायत दी गई है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के कोरोना के मरीजों पर निगरानी रखें।
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