मैं परम पूज्यनीय व संत नहीं, सिर्फ बापू : मोरारी बापू
राम कथा में मोरारी बापू ने लोगों से किया आग्रह, नाम के आगे महाराज, जी, श्री न लगाएं
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के तत्वावधान में सेक्टर-12 मैदान में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान मोरारी बापू ने कहा कि न तो वो राष्ट्र संत हैं और न विश्व संत, वो परम पूज्यनीय, प्रात: स्मरणीय भी नहीं है, वो सिर्फ बापू हैं और उन्हें मोरारी बापू के नाम से ही पुकारा जाए, वो सिर्फ देश के आम नागरिक हैं।
बापू ने सभी से आग्रह किया उनके नाम के आगे महाराज, जी, श्री, संत आदि न लगाएं। बापू ने यह भी कहा कि यह जीवन अनमोल है और 84 लाख योनियों के बाद दुर्लभ मानव तन मिला है, इसलिए ¨जदगी के हर क्षण को जियो, पर साथ में प्रभु नाम का सिमरन भी करो। जीवन को व्यर्थ न जाने दो।
बापू ने भगवान श्रीराम-माता सीता के अछ्वुत प्रेम पर प्रकाश डाला। बापू ने कहा, हर व्यक्ति को अपनी पत्नी की इज्जत करनी चाहिए। मौका मिले, तो पत्नी के पांव भी दबा दें, पर पत्नी राधा की तरह होनी चाहिए। उनकी यह बात सुनते ही पूरा पंडाल ठहाकों से गूंज उठा। बापू ने अनुरोध किया कि शादी के बाद माता-पिता को न भूलें और ससुराल वालों की भी इज्जत करे, क्योंकि वहां से आपको जीवन संगिनी मिली है।
तरक्की मिले, तो आम के पेड़ की तरह झुकें
बापू ने कहा कि अपने बचपन में निर्धनता के चलते आम नहीं खा पाते थे। ¨नबोड़ी खाते थे जो अत्यंत मिठास वाली होती थी, पर आम का वृक्ष फलों के बोझ से झुक जाता है, लेकिन ¨नबोड़ी कभी नहीं झुकती। इसी कारणवश आम मिठास वाला होता है, नीम कड़वा होता है। तात्पर्य यह है कि, मीठे लोग झुक-कर रहते हैं, लेकिन कटु लोग नहीं झुकते। बापू ने सभी आग्रह किया, तरक्की मिलने पर झुकें, अहंकार न करें।
इस अवसर पर पूर्व संसदीय सचिव शारदा राठौर, कांग्रेस नेता बलजीत कौशिक सहित कई अन्य विशिष्ट अतिथि कथा सुनने पहुंचे। आए हुए श्रद्धालुओं का स्वागत आयोजन मंडल में शामिल डॉ.प्रशांत भल्ला, डॉ.अमित भल्ला, एचके बत्रा ने किया।