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मोटर-यान विधेयक के प्रावधानों में संशोधन के लिए सरकार को लिखा पत्र

सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया मोटर-यान विधेयक-2019 बुधवार को राज्यसभा से पास हो गया। इस बिल में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में रिसर्च में जुटे सूरजकुंड रोड स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आइआरटीई) विधेयक के कुछ प्रावधानों पर पुनर्विचार के लिए सरकार को पत्र लिखा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 08:35 PM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2019 06:41 AM (IST)
मोटर-यान विधेयक के प्रावधानों में 
संशोधन के लिए सरकार को लिखा पत्र
मोटर-यान विधेयक के प्रावधानों में संशोधन के लिए सरकार को लिखा पत्र

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया मोटर-यान विधेयक-2019 बुधवार को राज्यसभा से पास हो गया। इस बिल में यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर कठोर कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में रिसर्च में जुटे सूरजकुंड रोड स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आइआरटीई) ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर पुनर्विचार के लिए सरकार को पत्र लिखा है। विधेयक का मसौदा तैयार करने में इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. रोहित बलूजा के सुझावों को भी शामिल किया गया था।

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डॉ. बलूजा के अनुसार विधेयक में कुछ प्रावधान स्पष्ट नहीं हैं, जिनसे नागरिकों की प्रताड़ना बढ़ेगी। कुछ सामान्य नियमों उल्लंघन में जुर्माना इतना अधिक है कि भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। बिल में खतरनाक तरीके से वाहन चलाने पर सजा कड़ी की गई है। पहली बार में ही लाइसेंस जब्त करने, तीन माह की सजा व पांच हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। रेड लाइट जंप करना, गलत दिशा में वाहन चलाना भी खतरनाक वाहन चालन की श्रेणी में रखा है। रेड लाइट जंप करने या गलत दिशा में वाहन चलाने के लिए लाइसेंस जब्त करना जरूरत से ज्यादा सजा है। एक अन्य प्रावधान में चार साल से अधिक उम्र के बच्चे को दोपहिया वाहन पर हेलमेट पहनना अनिवार्य है। उस बच्चे के पीछे कोई तीसरा व्यक्ति दोपहिया वाहन पर बैठेगा तो यह नियम का उल्लंघन होगा। सोचने वाली बात है कि बच्चा चालक के साथ दोपहिया वाहन पर अकेला कैसे बैठेगा। डॉ.रोहित बलूजा ने बताया कि ड्रंकन ड्राइविग करने पर तगड़े जुर्माने का प्रावधान किया है, मगर चालक द्वारा पी गई शराब की सही मात्रा मापने के लिए पुलिस के पास सर्टिफाइड एल्कोमीटर नहीं हैं। जिन एल्कोमीटर का प्रयोग होता है, उनसे शराब की मात्रा कम-ज्यादा दर्शाई जा सकती है। पहले सरकार को सर्टिफाइड एल्कोमीटर उपलब्ध कराने चाहिएं। डॉ. बलूजा ने 15 से अधिक प्रावधानों को चिन्हित करते हुए सरकार से इनमें संशोधन की मांग की है।


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