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शुरू नहीं हुए इंतजाम, कब जागेंगे जिम्मेदार

सर्दी के साथ ही कोहरा भी शुरू हो गया है। अभी कोहरा सामान्य है मगर आने वाले दिनों में इसमें बढ़ोतरी होगी। जिन पर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी है वे अब तक सो रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 07:49 PM (IST)Updated: Sun, 08 Dec 2019 06:16 AM (IST)
शुरू नहीं हुए इंतजाम, कब जागेंगे जिम्मेदार
शुरू नहीं हुए इंतजाम, कब जागेंगे जिम्मेदार

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सर्दी के साथ ही कोहरा भी शुरू हो गया है। अभी कोहरा सामान्य है, मगर आने वाले दिनों में इसमें बढ़ोतरी होगी। जिन पर लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी है, वे अब तक सो रहे हैं। प्रशासन की ओर से कोहरे को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए। ना ही कोई जागरुकता अभियान चलाया गया है। आरटीए, पीडब्ल्यूडी व ट्रैफिक पुलिस को हादसों को रोकने के लिए इंतजाम करने होते हैं, मगर शहर में अभी तक कोहरे से निपटने के लिए कोई कार्य होता नहीं दिख रहा। हाल ही में रोड सेफ्टी की बैठक में कोहरे के दौरान हादसे रोकने पर मंथन हुआ था, लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। जगह-जगह रोड इंजीनियरिंग की खामियां दूर नहीं हुई हैं। वाहनों के चालान में बरती जा रही लापरवाही

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इस साल 1 सितंबर से मोटर-यान अधिनियम लागू हुआ है। इसमें यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने में कई गुणा बढ़ोतरी की गई है। जब से यह नियम लागू हुआ है, पुलिस ने चालान की संख्या कम कर दी है। अब यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले सामने से गुजर जाते हैं और पुलिसकर्मी जल्दी से उन्हें रोकते नहीं। क्योंकि अगर चालान किया तो पांच से सात हजार रुपये का चालान होगा। वहीं लोग भी चालान से बचने के लिए तरह-तरह की तिकड़म लगाते हैं और किसी तरह बिना चालान बच निकलने की जुगत भिड़ाते हैं। पुलिस द्वारा शुरू की गई यह परंपरा घातक साबित हो सकती है। लोग यातायात नियमों को लेकर अगंभीर हो रहे हैं। कोहरे में इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। जागरूकता अभियान चलाने में देरी

प्रशासन व अन्य सामाजिक संस्थाओं की तरफ से कोहरे से निपटने के लिए हर साल जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। वाहनों पर रिफ्लेक्टर टेप लगाए जाते हैं। मगर इस साल अब तक ये अभियान शुरू नहीं हुए हैं। हर साल रोड सेफ्टी व यातायात नियमों की पालना के लिए स्कूल व कॉलेजों में भी कार्यक्रम होते हैं। मगर अभी तक ये अभियान या कार्यक्रम भी नहीं हुए हैं। वाहन चालकों की आंखों व स्वास्थ्य की जांच के लिए पुलिस द्वारा शिविर लगाए जाने का भी प्रावधान है, मगर ऐसा कोई शिविर भी इस सल अभी तक नहीं लगा है। रोड सेफ्टी के नाम पर खानापूर्ति

जिले में विभिन्न निर्माण कार्यों में रोड सेफ्टी के नाम पर जबरदस्त खानापूर्ति होती है। विकास एजेंसियों ने जगह-जगह सड़कें खोदी हुई हैं, मगर उन्हें चारों तरफ से कवर नहीं किया जाता। निर्माण की जगहों पर रात में रोशनी का प्रबंध भी नहीं किया जाता। इसके अलावा सड़कों में खुले सीवर मैनहोल, गड्ढे भी कोहरे के दौरान बड़े हादसे को न्यौता देते हैं। सेक्टर-64,65 की डिवाइडिग रोड पर हुआ हादसा ताजा उदाहरण है। यहां गड्ढे के कारण हुए हादसे में दो लोगों की जान चली गई थी। कोहरे को लेकर हमने प्लानिग पर काम शुरू कर दिया है। हाईवे पर किलर प्वाइंट चिन्हित किए गए हैं। उन स्थानों पर पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। वाहन चालकों को जागरूक करने के लिए जल्द अभियान चलाया जाएगा।

-अभिमन्यु लोहान, एसीपी ट्रैफिक


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