अब बिल्डरों के पास फंसी रकम का स्त्रोत बताना होगा
एसआरएस और पीयूष ग्रुप के पास ब्याज के लालच में मोटी रकम निवेश करने वाले लोग अब आयकर विभाग के शिकंजे में फंसते नजर आ रहे हैं। आयकर विभाग की ओर से 900 लोगों को नोटिस भेजकर निवेश की गई रकम का स्त्रोत पूछा है।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : एसआरएस और पीयूष ग्रुप के पास ब्याज के लालच में मोटी रकम निवेश करने वाले लोग अब आयकर विभाग के शिकंजे में फंसते नजर आ रहे हैं। आयकर विभाग की ओर से 900 लोगों को नोटिस भेजकर निवेश की गई रकम का स्त्रोत पूछा है। अब ऐसे लोगों की सांसें अटक गई हैं। विभाग के अधिकारियों के अनुसार यदि निवेश की गई रकम का सही स्त्रोत नहीं बताया तो आगामी कार्रवाई होगी।
बता दें दोनों ग्रुप के खिलाफ जिले के विभिन्न थानों में बड़ी संख्या में एफआइआर दर्ज हैं। इनमें रकम हड़पने के आरोप हैं। पुलिस महकमे की आर्थिक अपराध शाखा की ओर से एफआइआर की प्रति आयकर विभाग को भी भेजी जा चुकी हैं। इन सभी एफआइआर की जांच के बाद ही आयकर विभाग यह पता कर रहा है कि इतनी मोटी-मोटी रकम कहां से अर्जित की गई है। जबकि इनमें से आयकर दाताओं की संख्या ना के बराबर है। दूसरी ओर विभाग ने दोनों बिल्डर कंपनियों के सभी बैंक खाते भी अटैच कर दिए हैं। उनकी प्रॉपर्टी जब्त कर उसे नीलाम करने की तैयारी शुरू कर की जा रही है। बिल्डरों पर 100 करोड़ से अधिक की कर चोरी के भी आरोप हैं। इस माह के अंत तक विभाग बिल्डरों की प्रॉपर्टियों को नीलाम करने की कार्रवाई शुरू कर देगा। गौरतलब है कि बिल्डरों के पास हजारों लोगों का कई हजार करोड़ रुपये विभिन्न प्रकार से फंसा हुआ है। बिल्डरों के पास चलता था पर्ची सिस्टम
बिल्डर ग्रुप के पास पर्ची सिस्टम चलता था। मतलब ब्याज पर ली गई रकम का सबूत केवल पर्ची होती थी। इसी आधार पर कई साल बिल्डरों ने हजारों लोगों को खूब ब्याज भी दिया। ब्याज की दर दो से ढाई प्रतिशत होती थी। इधर जब रियल इस्टेट बाजार में थोड़ी मंदी आई, तो बिल्डरों ने घाटे में आने की बात कहते हुए ब्याज देने से हाथ खींच लिए। इससे निवेशकों को ब्याज मिलना तो दूर उनकी मूल रकम भी डूबने लगी। कई बार विरोध प्रदर्शन करने व तकादे करने के बाद भी जब लोगों को अपनी रकम नहीं मिली, तो उन्होंने पुलिस में एसआरएस ग्रुप व पीयूष ग्रुप के निदेशकों के खिलाफ शिकायतें दी गई थी। पुलिस ने इनके खिलाफ मामले दर्ज कर कार्रवाई भी की थी। एसआरएस ग्रुप के चेयरमैन डॉ.अनिल जिदल सहित कई निदेशक न्यायिक हिरासत में जेल में बंद हैं। एक तरफ हमारी रकम बिल्डर के पास फंसी हुई है और दूसरी ओर आयकर विभाग नोटिस भेजकर परेशानी पैदा कर रहा है। जिदगीभर कमाकर लोग 10-12 लाख रुपये तो एकत्र कर ही लेते हैं, यदि इसके बारे में भी पूछा जाएगा तो बताओ कहां जाएंगे। लोगों से पूछने की बजाए बिल्डर पर कार्रवाई होनी चाहिए। हम तो पहले से ही काफी परेशान हैं।
-जनकराज, एसआरएस पीड़ित मंच के संयोजक। बिल्डरों के पास निवेश की गई रकम कहां से आई, इस बारे में पता करने के लिए नोटिस भेजे गए हैं। लोग बता देंगे तो कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसमें किसी को परेशान नहीं किया जाएगा। पर लाखों रुपये ब्याज पर दिए जा रहे हैं और हमें पता ही नहीं है, इसकी जांच तो होनी चाहिए। बिल्डरों के खिलाफ भी विभिन्न तरह की कार्रवाई की जा रही है।
-बीबी सिंह, प्रधान आयकर आयुक्त, आयकर विभाग।