इमाम इश्तियाक ने धौज मस्जिद को बनाया 'ब्रेन वॉशिंग सेंटर', टेरर फंडिंग का शक; 6000 की सैलरी में खरीदा लाखों का घर
इमाम इश्तियाक पर धौज मस्जिद को ब्रेन वॉशिंग सेंटर बनाने और टेरर फंडिंग में शामिल होने का संदेह है। उन पर युवाओं को गुमराह करने और कम वेतन में लाखों की ...और पढ़ें

अल फलाह यूनिवर्सिटी परिसर की मस्जिद इस्लाम पर चर्चा करने के लिए ब्रेन वाॅश का प्रमुख केंद्र बन गई थी। फाइल फोटो
प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। अल फलाह यूनिवर्सिटी परिसर की मस्जिद इस्लाम पर चर्चा करने के लिए ब्रेन वाॅश का प्रमुख केंद्र बन गई थी। डेढ़ दशक से यहां का इमाम इश्तियाक मुख्य सरगना था। इमाम श्रीनगर की मस्जिदों से भी जुड़ा हुआ था और साल में कई चक्कर वहां के लगाता था। वहां से मिले पैगाम को यहां की मस्जिद में आए लोगों को देता था। वह नमाज पढ़ने आने वालों का ब्रेन वाॅश करने में लगा हुआ था। कुछ इस तरह एक मस्जिद को देश की एकता और अखंडता को तोड़ने के लिए ब्रेन बॉश सेंटर की तरह प्रयोग में लाया जा रहा था।
नमाज के समय उमड़ती थी भीड़
ब्रेन वाॅश के दौरान जैश सरगना मसूद अजहर के वीडियो भी दिखाए जाते थे। मकसद कुछ और था, इसलिए इमाम यहां छह हजार प्रति माह के मामूली वेतन पर ही काम कर रहा था। मस्जिद धौज गांव के रिहायशी इलाके से आधा किलोमीटर दूर थी, इसलिए ग्रामीण यहां आने की बजाए गांव की ही अन्य मस्जिदों में नमाज पढ़ने जाते थे। इस मस्जिद में तो अधिकतर यूनिवर्सिटी का स्टाफ व छात्र आते थे। नमाज के समय काफी भीड़ रहती थी।
डाॅ. शाहीन जूनियर डाॅक्टरों की थी मेंटोर
आशंका है कि यहां स्टाफ व छात्रों का ब्रेन वाॅश इस कदर किया जाता था कि कई लोग तो पांच वक्त नमाज पढ़ने आने लगे। उनमें डाॅ. मुजम्मिल और डाॅ. उमर नबी बट भी शामिल थे क्योंकि इन दोनों को भी यहीं पर गुमराह किया गया था। मुजम्मिल तीन साल और उमर कई साल से मस्जिद आ-जा रहा था। यूनिवर्सिटी में तैनात डाॅ. शाहीन जूनियर डाॅक्टरों की मेंटोर थी, इसलिए वह उनका और छात्रों का ब्रेन वाॅश करने में लगी हुई थी।
इमाम के सम्पर्क वालों की तलाश तेज
डॉ. शाहीन, डाॅ. मुजम्मिल और उमर में घनिष्ठता थी। अब जांच का विषय यह है कि यहां से कितने लोग ब्रेन वाॅश का शिकार हुए, पुलिस उनकी तलाश में जुट गई है। समय रहते ऐसे लोगों की निगरानी नहीं की गई तो देश की सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकते हैं। इसलिए अब जिला पुलिस पता कर रही है कि कितने छात्र यूनिवर्सिटी से निकले हैं या पढ़ रहे हैं जो इमाम के संपर्क में थे, उन सभी से पूछताछ की जाएगी।
वेतन छह हजार, मकान खरीदा 15 लाख का
छह हजार रुपये प्रति माह वेतन पाने वाला कोई शख्स मुश्किल से अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकता है। परिवार में पत्नी के अलावा चार बच्चे हों तो और भी कठिन हो जाता है लेकिन धौज गांव में अल फलहा यूनिवर्सिटी परिसर में मौजूद मस्जिद का इमाम इश्तियाक न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक-ठाक कर रहा था बल्कि उसने करीब ढाई साल पहले फतेहपुर तगा गांव में 15 लाख कीमत वाला मकान भी खरीदा था।
मुजम्मिल को दिया था किराये पर घर
इसी मकान को उसने यूनिवर्सिटी के डाॅ. मुजम्मिल को किराये पर दिया हुआ था। इस मकान से ही पुलिस ने विस्फोटक बरामद किया। सवाल यह है कि इमाम के पास इतने पैसे कहां से और कैसे आए। वह करीब 15 साल से यहां रह रहा है। इतने कम वेतन में कैसे और क्यों काम कर रहा था, जाहिर है, उसे टेरर फंडिंग हो रही थी। अब पुलिस उसके बैंक खातों की जानकारी जुटा रही है। यहां का इमाम जम्मू-कश्मीर की एक मस्जिद से भी जुड़ा था। वह वहां आता-जाता रहता था।
रोज नमाज पढ़ने जाता था मुजिम्मल
इमाम की यहां अल फलाह मस्जिद में यूनिवर्सिटी से डाॅ. मुज्जमिल प्रतिदिन नमाज पढ़ने आता था। यहीं से दोनों की मुलाकात हुई। इसके बाद मुजम्मिल ने उसका मकान किराये पर ले लिया। साथ ही जान-पहचान बहुत अधिक बढ़ा ली। नजदीकी और बढ़ाने के लिए मुजम्मिल इमाम के घर से बकरी का दूध लेकर आता था।
मस्जिद आने वाले लोगों का किया ब्रेन वाॅश
अब पुलिस यह भी पता कर रही है कि यहां नमाज पढ़ने कौन-कौन आते थे। धौज रिहायशी इलाके से यह मस्जिद करीब आधा किलोमीटर दूर है। गांव में और भी कई मस्जिद हैं।
इसलिए ग्रामीण इस मस्जिद तक कम ही आते थे लेकिन यूनिवर्सिटी में पढ़ाने व पढ़ने वाले यहां कुछ जरूर आते थे। अब पुलिस को शक है कि यहां आने वाले कितने लोग इमाम और मुजम्मिल से प्रभावित थे।
कहीं उन लोगों को आर्थिक मदद देकर कुछ फायदा तो नहीं उठाया गया। ऐसा भी हो सकता है कि पुलिस कार्रवाई के डर से ऐसे संदिग्ध लोग इधर-उधर हो गए या फिर अब यूनिवर्सिटी छोड़ गए हो लेकिन सुरक्षा के लिए ऐसे लोग बड़ा खतरा हो सकते हैं।
इसलिए पुलिस सतर्कता बरत रही है। ब्रेन वाॅश के शक के आधार पर धौज गांव के भी कुछ लोगों से पुलिस ने पूछताछ की है लेकिन कुछ खास जानकारी सामने नहीं आ सकी।
एक कमरे में रह रहा पूरा परिवार
इमाम के परिवार में उसके अलावा पत्नी हसीना, बेटे साहिल, साहिब, बेटी साहिला व साजिया हैं। बड़ा बेटा साहिल मेवात के एक मदरसे से दीनी तालीम ले रहा है। दोनों बेटियां व छोटा बेटा घर पर ही रहते हैं। दिखावे के लिए इमाम का परिवार मस्जिद परिसर में एक छोटे से कमरे में गुजर-बसर कर रहा है। इस कमरे के बाहर टीन-शेड है। इसके नीचे सिलाई मशीन रखी है। यहीं पर कुछ बकरियां पाली हुई हैं।
पुलिस ने डाला हुआ है डेरा
स्थानीय पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच व दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से भी यूनिवर्सिटी के अलावा मस्जिद के बाहर डेरा डाला हुआ है। हर संदिग्ध से पूछताछ की जा रही है। यहां तक कि फतेहपुर तगा के जिस मकान में विस्फोटक मिला है, वहां भी पुलिस की टीम लगातार जा रही है। अब पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़कर इस मामले में शामिल अन्य आरोपितों की तलाश में जुटी है ताकि पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।
अब्बू जाते ही नहीं थे अपने मकान पर
इमाम के बेटियों ने बताया कि मकान को किसी को भी किराये पर दे सकते हैं। क्योंकि मुजम्मिल उनके पिता का नजदीकी हो गया था, इसलिए उसे मकान किराये पर दे दिया था। अब्बू तो मकान पर जाते ही नहीं थे। उन्हें नहीं पता था कि मुजम्मिल वहां क्या कर रहा है। मुजम्मिल ने जब से मकान किराये पर लिया है, किराया भी नहीं दिया था। इस घटना के बाद से इमाम की पत्नी हसीना की तबीयत बिगड़ गई है। उसने केवल इतना ही कहा कि उनके शौहर बेकसूर हैं।
ग्रामीण बोले, गांव पर धब्बा लगा दिया
फतेहपुर तगा गांव की आबादी करीब 10 हजार है। मुस्लिम बहुल गांव में 85 प्रतिशत मुस्लिम परिवार हैं। बाकी हिंदू धर्म के लोग रहते हैं। गांव इससे पहले कभी सुर्खियों में नहीं आया था। अल फलाह यूनिवर्सिटी से गांव की दूरी करीब चार किलोमीटर है। फतेहपुर तगा गांव के रहने वाले शमशुद्दीन, इस्लाम और मोहम्मद इशाक ने बताया कि मुजम्मिल और इमाम ने मिलकर उनके गांव पर धब्बा लगा दिया है। ऐसा नहीं होना चाहिए था।

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