अभी कई फर्म निशाने पर, जल्द दर्ज होंगे मुकदमे
फर्जी फर्म बनाकर सरकार से इनपुट क्रेडिट टैक्स (आइटीसी) लेकर घोटाले करने वाली अभी कई फर्मो के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : फर्जी फर्म बनाकर सरकार से इनपुट क्रेडिट टैक्स (आइटीसी) लेने की कोशिश के आरोप में अभी और भी मुकदमे दर्ज होंगे। आबकारी एवं कराधान (जीएसटी) विभाग की ओर से इस मामले की तेजी से जांच की जा रही है। जो फर्म विभाग में रजिस्टर हैं, उनकी एक-एक की मौके पर जाकर जांच की जा रही है। कुछ और फर्जी फर्मों के नाम सामने आए हैं जो धरातल पर कहीं पर हैं ही नहीं। इन फर्म संचालकों द्वारा भी विभाग में आइटीसी का लाभ लेने के लिए दावा किया हुआ है। ऐसी फर्म के खिलाफ विभाग द्वारा जल्द सेंट्रल थाने में शिकायत दी जाएगी। 22 फर्म का रोका था आइटीसी
फर्जीवाड़े में विभाग द्वारा 22 फर्म को आइटीसी के रूप में साढ़े चार करोड़ रुपये देने पर रोक लगाई जा चुकी है। इन्हीं में से रविवार को सेंट्रल थाना इनमे से 14 फर्म के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए हैं। इन फर्म पर दर्ज हुआ है मुकदमा
शाहजी ट्रेडर्स शाहदरा दिल्ली, एसएस इंडस्ट्रीज नंगला रोड एनआइटी, सिमरन इंस्टीप्राजेज एनआइटी, श्री बालाजी इंटरप्राइजेज सोहना रोड, फरीदाबाद इंटरप्राइजेज एनआइटी दो नंबर एफ ब्लाक, मेसर्स ममता डागा सेक्टर-9, अजय ट्रेडिग रामा एन्क्लेव सेक्टर-29, सिनोलिथ मेटल्स अलाय 20/1 शेरशाह सूरी मार्ग, सैनी इंटरप्राइजेज डीएलएफ सेक्टर-10, भारत इंटरप्राइजिज सेक्टर-7 हुडा मार्केट, एएस इंटरप्राइजेज, सेक्टर-81, वीएस इंटरनेशनल होल्डिग ग्रीनफील्ड कालोनी, सुख स्टील तिगांव, यूनिक इंटरप्राइजेज ग्रीनफील्ड कालोनी। दूसरे राज्यों में कर रहे संपर्क
विभाग द्वारा की जा रही जांच में पता लगा है कि फर्जी फर्म द्वारा अपना माल दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश के नोएडा, राजस्थान सहित तमिलनाडु तक भेजने के बारे में बताया गया है। अब अधिकारी इन सभी राज्यों के जीएसटी अधिकारियों से जानकारी लेने में जुटे हुए हैं। बता दें जिले में कुल 50 हजार से अधिक जीएसटी डीलर हैं। जीएसटी विभाग को पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण चार जोन में बांटा हुआ है। सभी के अलग-अलग उपआबकारी एवं कराधान आयुक्त हैं। कमीशन देकर बनते हैं बिल
चार्टर्ड अकाउंटेंट राम अक्षय के अनुसार कागजों में फर्म बनाकर इस तरह का खेल बड़े स्तर पर हो रहा है। ऐसी फर्जी फर्में बनाकर कारोबारियों एवं उद्योगपतियों को 18 फीसद भुगतान के बिल पांच से छह फीसद कमीशन लेकर बना दिए जाते हैं। उधर कारोबारी सरकार से 18 फीसद का इनपुट क्रेडिट दावा कर देते हैं, जिससे सरकार को नुकसान होता है। अभी कई फर्मो की जांच की जा रही है। हमारे कुछ अधिकारी इधर से उधर तबादले किए गए हैं, जिसकी वजह से जांच प्रभावित हो रही है। जल्द विभाग के अधिकारी जांच पूरी कर लेंगे। इसके बाद फर्जी फर्म के खिलाफ मामले दर्ज कराए जाएंगे।
-रविद्र सिंह, उपआबकारी एवं कराधान आयुक्त।