14 मंजिला इमारत टिकी लोहे के गाडरों पर
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: प्रशासन और बिल्डर की लापरवाही से ग्रेटर फरीदाबाद में 400 से
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: प्रशासन और बिल्डर की लापरवाही से ग्रेटर फरीदाबाद में 400 से अधिक जान खतरे में हैं। सेक्टर-88 स्थित एसआरएस रेजीडेंसी की 14 मंजिला एक इमारत की बेसमेंट के पिलर जर्जर हो गए हैं। एक इमारत के 84 फ्लैटों में करीब 400 लोग रहते हैं। हालात ऐसे हैं कि इन पिलर को गिरने से बचाने के लिए लोहे के गाडरों का सहारा लिया जा रहा है। बिल्डर सहित समूचा प्रशासन कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। यदि समय रहते इन इमारतों की बेसमेंट के पिलर की हालत में सुधार नहीं किया गया तो यहां भी ग्रेटर नोएडा जैसा हादसा हो सकता है। चूंकि सभी इमारतों की बेसमेंट इंटरकनेक्ट हैं इसलिए यदि एक में हादसा हुआ तो इसका असर सभी पर पड़ेगा। इसलिए और बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रेफवासी बेसमेंट के पिलर जर्जर होने का कारण इनके आसपास जमा पानी बता रहे हैं।
एसआरएस रेजीडेंसी में दिसंबर 2012 में निर्माणाधीन स्कूल की इमारत धराशायी हो गई थी जिसमें कई जान गई थी। इस इमारत की बेसमेंट को सुधारने के नाम पर रुड़की से इंजीनियर तो आए जरूर लेकिन यहां पिलर के साथ लोहे के गाडर लगाकर चले गए। इसे लेकर ग्रेफ वासी काफी ¨चतित हैं। आरडब्ल्यूए ने खतरे को भांपते हुए एसडीएम सतबीर मान को ज्ञापन सौंपकर इमारत की जांच कराने की मांग की है।
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एसआरएस रेजीडेंसी के आरडब्ल्यूए के पदाधिकारियों को बिल्डिंग स्ट्रक्चर इंजीनियर नियुक्त करके प्रत्येक टॉवर की जांच कराने को कहा गया है और जिला प्रशासन ग्रेटर फरीदाबाद की प्रत्येक सासोयटीवासियों के साथ है और उन्हें न्याय दिलाने में पीछे नहीं हटेगा।
- सतबीर मान, एसडीएम, फरीदाबाद
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बिल्डर ने फ्लैटधारकों के साथ धोखा किया है। सोसायटी की दीवारों से पानी रिसता रहता है। जो दीवार, पिलर और कॉलम को कमजोर कर रहा है। इसके अलावा पी-9 ब्लॉक के बेसमेंट का बहुत खराब हालात है। इसकी बेसमेंट में रोजाना काफी पानी रिसता रहता है।
- जितेंद्र गर्ग, आरडब्ल्यूए प्रधान
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जमींदोज स्कूल के मलबे को अभी तक नहीं उठाया गया है और उसमें पानी रहता है। यह सोसायटी के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकता है। बिल्डर अब जेल में है। ऐसे में जिला प्रशासन से ही उम्मीद है कि वह मदद करेंगे।
- आरके वर्मा, महासचिव
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बिल्डर ने कुछ काम ठीक से नहीं किया है। इसका खामियाजा फ्लैटधारकों को भुगतना पड़ रहा है। हमने जीवनभर की जमा पूंजी यहां लगा दी है, इसलिए अब और कहीं नहीं जा सकते।
- मनीष कुमार