होली पूजन कर सुख समृद्धि की कामना की
बल्लभगढ़ ऐतिहासिक शहर है। राजाओं के समय से ही होली चौक पर होलिका का दहन किया जाता है। हालांकि अब शहर का पहले की अपेक्षा काफी
सुभाष डागर, बल्लभगढ़ : ऐतिहासिक शहर बल्लभगढ़ में राजाओं के समय से ही होली चौक पर होलिका का दहन किया जाता है। हालांकि अब शहर का पहले की अपेक्षा काफी विस्तार हो चुका है, लेकिन होली अभी भी एक ही स्थान पर रखी जाती है। होली चौक पर सुबह से ही सजधज कर महिला होलिका का पूजन करने के लिए निकलनी शुरू हो गई और ये सिलसिला दोपहर बाद तक चलता रहा। पूरे दिन यहां पर हजारों की संख्या में महिला पूजन करने के लिए आई। पूजन को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने भी पुलिस बल तैनात किया हुआ था। महिलाओं ने रखा व्रत
होलिका पूजन करने के लिए महिला होली वाले दिन व्रत रखती हैं और होलिका का पूजन करने के लिए हल्दी, गुड़, जौ, गेहूं की बाली और गोबर से बनी हुई बुरकली लेकर आती हैं। महिलाएं होली को लेकर 10 दिन पहले से बुरकली थापना शुरू कर देती हैं। होलिका पूजन में जौ की बालियों से इसलिए पूजा की जाती है, क्योंकि अब रबी की फसल पूरी तरह से पक चुकी है। अब फसल की कटाई का समय आ गया है। होलिका चौक पर होली पूजन करने के लिए महिलाएं अपने निजी वाहनों और तिपहियों में बैठ कर पहुंची। मौके पर पूजन सामग्री बुरकली और जौ की बाली 10-10 रुपये में बेची जा रही थी। मायके आकर होती है शादी के बाद की पहली होली
जिन युवतियों की शादी होती है वे अपनी पहली होली ससुराल की बजाय मायके में पूजती हैं। नवविवाहिता सज-धज कर परिवार की महिलाओं के साथ पूजन करने के लिए जाती हैं। शहर में हजारों की संख्या में नवविवाहिताओं ने होलिका का पूजन किया। होलिका दहन के दौरान रात को गेहूं और जौ की बालियों को भून कर लाते हैं। होलिका में भूनी गई बालियों के दानों को आपस में बांट कर खाते हैं। एक कहावत प्रचलित है कि जो भी होलिका में भुने दानों को प्रसाद के रूप में खाता है तो उसे कभी भी आधा सीसी (आधे सिर का दर्द) नहीं होता है। फसलों को भूनने का अर्थ दूसरा यह है कि अब त्योहारों का मौसम खत्म हो चुका है और रबी की फसल गेहूं, जौ, सरसों आदि पक चुके हैं। अब फसल को उठाकर घर में लाना है। बाजार में व्यापारी होलिका में दानों को भून कर दुकान-दुकान पर जाते हैं और राम-राम करते हैं। होली का धार्मिक महत्व
धार्मिक महत्व के अनुसार होलिका का पूजन इसलिए किया जाता है भक्त प्रहलाद को हिरणाकश्यप के कहने पर होलिका गोद में लेकर आग में बैठ गई थी। तब आग में भक्त प्रहलाद बच गए और होलिका जल गई। आज होली है, इसे ध्यान में रखते हुए मैं सुबह जल्दी उठी और घर का काम-काज पूजा को ध्यान में रखते हुए निबटाया। फिर स्नान करके पूजन के लिए पहुंची।
-सीमा, मुकेश कॉलोनी होली का व्रत रखने के पीछे एक धार्मिक मान्यता है। भक्त प्रहलाद को आग से बचाने के लिए लोगों ने पूरे दिन व्रत किया था। तब से व्रत रखने की परंपरा चली आ रही है।
-मीनाक्षी, सेक्टर-2 होली पूजन से सुख-स्मृद्धि और शांति मिलती है। हमारे घरों में होली पूजन से सुख-स्मृद्धि आए, इसलिए पूजन करने के लिए आई हूं। यहां पर इसी कामना के साथ सैकड़ों महिला आई हुई हैं।
-सुषमा, मुकेश कॉलोनी