मंडी में रखे गेहूं के कट्टों को चट कर रही दीमक
फतेहपुर बिल्लौच अनाज मंडी में गेहूं की ढुलाई समय पर न होने के कारण हजारों कट्टों को दीमक ने खा लिया है। ये नुकसान एजेंसियों की बजाय आढ़तियों को भुगतना पड़ेगा। आढ़ती चाहते हैं कि गेहूं एजेंसी की ढिलाई की वजह से दीमक ने काटा है इसलिए नुकसान की भरपाई एजेंसी को करनी चाहिए। गेहूं की ढुलाई 72 घंटे के अंदर की जानी चाहिए थी। प्रशासनिक अधिकारी इस नुकसान को मानने के लिए तैयार नहीं है।
सुभाष डागर, बल्लभगढ़ : फतेहपुर बिल्लौच अनाज मंडी में गेहूं की ढुलाई समय पर न होने के कारण कट्टों को दीमक चट कर रही है। इस कारण से गेहूं मंडी में खुले में बिखर रहा है। ये नुकसान एजेंसियों की बजाय आढ़तियों को भुगतना पड़ेगा। आढ़ती चाहते हैं कि गेहूं एजेंसी की ढिलाई की वजह से दीमक ने काटा है, इसलिए नुकसान की भरपाई एजेंसी को करनी चाहिए। गेहूं की ढुलाई 72 घंटे के अंदर की जानी चाहिए थी। प्रशासनिक अधिकारी इस नुकसान को मानने के लिए तैयार नहीं है।
फतेहपुर बिल्लौच पूरी तरह से कच्ची मंडी है। यहां पर गेहूं डालने के लिए पक्का फर्श नहीं है। यही वजह है कि किसान गेहूं कच्ची मिट्टी पर डालते हैं और एजेंसी भी जब गेहूं को खरीद लेती है, तो उसे जमीन पर ही धांग लगा कर रखवा देती है। इस बार भी यहां पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने गेहूं की खरीद की। यहां पर एजेंसी ने 65 हजार कुंतल के करीब गेहूं की खरीद की। एजेंसी ने गेहूं की ढुलाई बिल्कुल भी नहीं की। आढ़तियों ने गेहूं की कच्चे में धांग लगवा कर रखवा दिया। कच्चे में गेहूं लगा होने की वजह से दीमक ने नीचे के सभी धांगों में कोई न कोई कट्टा खा लिया है, जिससे आढ़तियों को अब ये नुकसान उठाना पड़ेगा। एजेंसी को गेहूं की ढुलाई खरीद के साथ-साथ करते रहना चाहिए। खासतौर से फतेहपुर बिल्लौच जैसी मंडी से जहां पर पूरा प्रांगण कच्चा है। अब दीमक गेहूं के कट्टों को खा गई है, तो इसका नुकसान एजेंसी को भुगतना चाहिए।
-महेंद्र अग्रवाल, आढ़ती फतेहपुर बिल्लौच मंडी में एजेंसी को गेहूं कभी भी नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि कच्ची जमीन में दीमक के निकलने की हमेशा आशंका बनी रहती है। अब ये आशंका सच्ची साबित हो रही है, जिसका नुकसान आढ़ती पर पड़ रहा है।
-पवन कुमार, आढ़ती मेरे संज्ञान में ऐसा कोई मामला नहीं है। गेहूं की ढुलाई की जा रही है और एफसीआइ के गोदाम में बिना किसी परेशानी के जमा किया जा रहा है। फिर भी अगर व्यवस्था में कोई कमी होगी, तो इसे दूर किया जाएगा।
-केके गोयल, जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक फरीदाबाद