खेती पर भी असर डाल रहा प्रदूषण
लगातार बढ़ रहा प्रदूषण खेती पर भी असर डाल रहा है।
जागरण संवाददाता, बल्लभगढ़ : लगातार बढ़ रहा प्रदूषण खेती पर भी असर डाल रहा है। वातावरण में छाई स्माग की चादर से गेहूं की बोआई पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बोआई कम से कम एक सप्ताह देरी से होगी। इसे लेकर किसान खासे चितित हैं।
गेहूं की बोआई के लिए पहली नवंबर से 15 दिसंबर तक का समय तय है। अब गेहूं की बोआई शुरू हो चुकी है। फिलहाल अगेती फसलों की बोआई कर रहे हैं। अभी मौसम की शुरुआत है। फिलहाल मौसम गर्म रहना चाहिए था। अगेती किस्मों के लिए कम सर्दी की जरूरत होती है। अब किसान गेहूं की बोआई करने के लिए खेतों की सिचाई(पलेवा) कर रहे हैं। पलेवा के बाद गेहूं की बोआई करने के लिए खेत की जुताई करनी होती है। यदि मौसम ठीक रहा तो अभी भी एक सप्ताह में खेत की बोआई हो जाएगी। फिलहाल आसमान में स्माग की चादर छाए होने से धूप नहीं निकल रही है, जिससे खेत की जुताई जल्दी नहीं हो पा रही है। किसानों ने अगेती किस्म के बीज खरीद लिए हैं। स्माग के चलते पलेवा के बाद जुताई करने के लिए खेत 10 से 15 दिन में तैयार हो रहे हैं। आसमान में स्माग की चादर छाई होने से सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य पर ही नहीं, खेती के काम पर भी खासा असर पड़ा रहा है। गेहूं की बोआई देरी से हो रही है। कई किसानों ने तो सीधे सूखे खेत में बोआई कर दी है।
-कुलदीप सिंह, किसान खेती की बोआई स्माग के चलते कम से कम 10 से 15 दिन देरी से होगी। क्योंकि स्माग से ठंड बढ़ गई और धूप नहीं निकल रही है। जिससे पलेवा के बाद खेत जुताई के लिए सूख नहीं रहे हैं।
-डा.लक्ष्मण सिंह, क्षेत्रीय कृषि अधिकारी, कृषि एवं कल्याण विभाग बल्लभगढ़