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तीन माह में दुरुस्त करें एसटीपी

शहर में एसटीपी दुरुस्त करें। यमुना में प्रदूषित पानी नहीं जाना चाहिए। रेलवे ट्रैक राष्ट्रीय राजमार्ग और ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता से लें। जल प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ हो। एनजीटी की ओर से गठित कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व न्यायाधीश प्रीतम पाल ने इस बाबत स्पष्ट निर्देश दिए। प्रीतम पाल ने कहा कि शहर के प्रमुख स्थानों बड़खल झील कालोनियों में सीवर व्यवस्था व कूड़ा कचरा का प्रबंधन उचित तरीके से करना सुनिश्चित किया जाए।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 06:59 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 06:59 PM (IST)
तीन माह में दुरुस्त करें एसटीपी
तीन माह में दुरुस्त करें एसटीपी

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : शहर में एसटीपी दुरुस्त करें। यमुना में प्रदूषित पानी नहीं जाना चाहिए। रेलवे ट्रैक, राष्ट्रीय राजमार्ग और ग्रामीण क्षेत्र को प्राथमिकता से लें। जल प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। एनजीटी की मॉनिटरिग कमेटी के चेयरमैन जस्टिस प्रीतम पाल सिंह ने यह निर्देश लघु सचिवालय की छठी मंजिल के कांफ्रेंस हॉल में अधिकारियों को दिए। जस्टिस प्रीतम पाल सिंह ने कहा कि शहर के प्रमुख स्थानों, बड़खल झील, कालोनियों में सीवर व्यवस्था व कूड़ा कचरा प्रबंधन उचित तरीके से करना सुनिश्चित किया जाए। इसमें कंस्ट्रक्शन वेस्ट, बायो मेडिकल वेस्ट व अन्य सभी प्रकार के वेस्ट का निपटान भी सही प्रकार से होना चाहिए।

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एनजीटी की ओर से जारी दिशा-निर्देशों व विभिन्न विभागों द्वारा इस संबंध में की जाने वाली कार्रवाई को भी तय समय पर पूरा किया जाए। बैठक में तीन महीने के अंदर सभी एसटीपी चालू करने के स्पष्ट निर्देश दिए। इस दौरान स्मार्ट सिटी की सीईओ गरिमा मित्तल ने बड़खल झील में पानी भरने की प्रगति के बारे में अवगत कराया। लघु सचिवालय के सभागार में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रीतम पाल ने कहा कि सबसे पहले प्रदूषण फैलाने वाली यूनिटों को चिन्हित किया जाए। जो भी यूनिट एनजीटी द्वारा जारी हिदायतों की अनुपालना नहीं कर रही, उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदूषण किसी भी प्रकार का क्यों न हो, पर्यावरण की ²ष्टि से संवेदनशील विषय है। संबंधित विभागों के अधिकारी आपसी तालमेल से इसकी रोकथाम के लिए आवश्यक कार्रवाई करें। बैठक के बाद एनजीटी की टीम बाटा चौक, एसी नगर और गौंछी ड्रेन तक भी गई। कई जगह बिगड़ी सफाई व्यवस्था पर टीम ने नाराजगी जताई। जस्टिस प्रीतम पाल ने सेफ्टी टैंक की निगरानी के लिए टैंकों का पंजीकरण करने को कहा। निगमायुक्त यश गर्ग ने जस्टिस को आश्वासन दिया। जिला उपायुक्त यशपाल ने कमेटी को आश्वस्त किया कि 31 मार्च तक लगभग सारे मामलों को निपटा दिया जाएगा। एनजीटी ने साफ तौर से निर्देश दिए कि बिजली निगम यह सुनिश्चित करे कि एक बार कनेक्शन कटने के बाद दोबारा कनेक्शन न दिया जाए। एनजीटी के अधिकारियों ने कहा कि जल प्रदूषण के मामले में पहले कई डाइंग यूनिट के बिजली कनेक्शन काटे गए थे, बाद में इनको फिर से कनेक्शन दिए गए थे। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

इस अवसर पर पूर्व मुख्य सचिव तथा मॉनिटरिग कमेटी की सदस्य डॉ. उर्वशी गुलाटी, मॉनिटरिग कमेटी एनजीटी के टेक्निकल एक्सपर्ट डॉ. बाबू राम, जिला उपायुक्त यशपाल यादव, स्मार्ट सिटी फरीदाबाद की सीईओ डॉ. गरिमा मित्तल, हुडा प्रशासक प्रदीप दहिया, संपदा अधिकारी परमजीत चहल, नगराधीश बेलीना के अलावा अन्य कई विभागों के अधिकार उपस्थित थे।


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