ग्रामीण शिल्प और दस्तकारी को मिला बढ़ावा, नाबार्ड के 50 स्टालों पर हुई 1.2 करोड़ की बिक्री
सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में इस बार राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण एवं विकास बैंक(नाबार्ड) की ओर से ग्रामीण शिल्प और दस्तकारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगाए गए 50 स्टॉलों पर पिछले वर्ष की अपेक्षा खासी बिक्री हुई है
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में इस बार राष्ट्रीय कृषि ग्रामीण एवं विकास बैंक (नाबार्ड) की ओर से ग्रामीण शिल्प और दस्तकारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगाए गए 50 स्टॉलों पर पिछले वर्ष की अपेक्षा खासी बिक्री हुई है। इस वर्ष 1 करोड़ 20 लाख से ज्यादा का कारोबार हुआ है जबकि पिछले वर्ष 42 स्टालों पर करीब 80 लाख का कारोबार हुआ था।
हैंडलूम, लकड़ी की पें¨टग, जूट बैग, खिलौने, बकरी के दूध से बने साबुन, पीतल और तांबे के सामान, पंजाबी जूतियां, ऊन और पशमीना के गरम परिधान, चूड़ियां, सिल्क साड़ियां और वस्त्र-सामग्री, टेराकोटा, कढ़ाईदार परिधान, केन और बांस के उत्पाद, फुलकारी, आर्टि़िफशियल ज्वेलरी, और जूट के उपयोगी उत्पाद के कारोबार में इजाफा से शिल्पी बेहद खुश हैं। नाबार्ड के स्टालों में एक स्टाल पलवल की अभिव्यक्ति फाउंडेशन का भी रहा। जूट बैग, पर्स और सजावट के सामान के इस स्टाल पर इस बार 6 लाख का कारोबार हुआ है।
पिछले वर्ष 3.85 लाख का कारोबार रहा था। ऐसे ही मुजफ्फर नगर, उत्तर प्रदेश के अब्बास अंसारी के स्टाल पर 13 फरवरी तक 9 लाख का कारोबार हुआ था। वे हैंडलूम यूनिट की चादरें लेकर आए थे। मेले के सामान से पहले ही सामान खत्म होने की वजह से वह लौट गए थे। नाबार्ड के अधिकांश स्टाल महिलाओं के नाम से थे।
नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक सुबोध कुमार कहते हैं कि मेले में 22 राज्यों के 100 से भी अधिक ग्रामीण कारीगर और दस्तकारों ने शिरकत की। उन्होंने बताया कि नाबार्ड महिला स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण कारीगरों को विपणन, पैके¨जग और ब्रां¨डग के बारे में प्रशिक्षण देता है।