हम भारत के लोग: वंचित बच्चों को दाखिला दिलवाकर तालीम दिलवा रहीं कई संस्थाएं
फरीदाबाद। शिक्षा से वंचित जरूरतमंद परिवार के बच्चों को सरकारी तथा निजी स्कूलों में दाखिला दिलवा कर उनके जीवन को संवारने में जिले की कई शैक्षणिक संस्थाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। अभिभावकों के लिए गरीबी के चलते कभी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलवाना एक सपना था लेकिन शहर की कई शैक्षणिक संस्थाएं ऐसे परिवारों के सपने को साकार करने में लगी हैं।
नोट : इसके साथ हम भारत के लोग 70 साल संविधान के का लोगो प्रकाशित होगा।
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अनिल बेताब, फरीदाबाद
शिक्षा से वंचित जरूरतमंद परिवार के बच्चों को सरकारी तथा निजी स्कूलों में दाखिला दिलवा कर उनके जीवन को संवारने में जिले की कई शैक्षणिक संस्थाएं अहम भूमिका निभा रही हैं। अभिभावकों के लिए गरीबी के चलते कभी अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलवाना एक सपना था, लेकिन अब शहर की कई शैक्षणिक संस्थाएं ऐसे परिवारों के सपने को साकार करने में लगी हैं। मिशन तालीम पिछले नौ वर्ष से राष्ट्रहित में अहम भूमिका निभा रही है। दिल्ली एनसीआर में सक्रिय इस संस्था की मदद से अब तक करीब 24 हजार बच्चे लाभान्वित हो चुके हैं। इनमें स्कूली शिक्षा से वंचित चार हजार बच्चों को आसपास के सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवाया गया है, तो करीब 20 हजार गरीब परिवार के बच्चों को निजी स्कूलों में। ऐसे ही इकरा एजूकेशन सोसायटी, अंजुमने-इस्लामिया तथा सामाजिक संस्था फीकॉम भी कई वर्षो से गरीब बच्चों को शिक्षित कर रही है।
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निजी स्कूल में हुआ दाखिला, तो पूरा हुआ सपना :
गरीब परिवार के लोगों के बच्चों को निजी स्कूल में जब दाखिला मिल जाता है, तो वे समझते हैं कि उन्होंने बहुत कुछ हासिल कर लिया है। श्रमिक विहार निवासी सरिता आज इस बात से खुश हैं कि उनके तीन बच्चे निजी स्कूल में पढ़ रहे हैं। वह इसके लिए मिशन तालीम के संस्थापक अध्यक्ष एकरामुल हक, सदस्य रफी अहमद तथा फीकॉम के अध्यक्ष मिर्जा वसीउद्दीन का शुक्रिया करती हैं, जिनके प्रयासों से गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने पर उनके बच्चों को निजी स्कूल में दाखिला मिला।
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माता-पिता को किया जाता है जागरूक :
इन कार्यो में मिशन तालीम की महिला सदस्य अहम भूमिका निभा रही हैं। सदस्य गुलनाज करीब पांच वर्ष से मिशन तालीम से जुड़ी हैं। गुलनाज कहती हैं कि इस संस्था का उद्देश्य शिक्षा से वंचित बच्चों को स्कूल तक पहुंचाना है, जो बच्चे पढ़ रहे हैं, उन्हें वजीफा दिलवाना तथा प्रोत्साहित करना है। मिशन तालीम का एक खास कार्यक्रम आओ स्कूल चलें हम अक्सर कॉलोनियों तथा स्लम बस्तियों में चलता है। इस अभियान के दौरान संस्था की ओर से उन क्षेत्रों में जाकर कार्यक्रम किए जाते हैं, जहां के अधिकांश बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। जगह-जगह जाकर माता-पिता को जागरूक किया जाता है कि वे अपने बच्चों को स्कूलों में दाखिला जरूर दिलवाएं। दाखिला दिलवाने में संस्था सहयोग करती है।
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मैं आटो चलाता हूं। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। बेटा निरंकारी पब्लिक स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ता है। बच्चे को निजी स्कूल में पढ़ाने का श्रेय मिशन तालीम संस्था को जाता है, जिनके सहयोग से यह संभव हो पाया है।
-दिगंबर गोला, आटो चालक
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हमारी सोसायटी की ओर से बड़खल में स्कूल चल रहा है। स्कूल में अल्पसंख्यकों तथा गरीब परिवार के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दी जाती है। हम बच्चियों की शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
-अली हसन, संस्थापक अध्यक्ष, इकरा एजूकेशन सोसायटी।
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हमारा मकसद है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। हम स्लम बस्तियों में जाकर माता-पिता को जागरूक करते हैं कि वे अपने बच्चों को स्कूल जरूर भेजें।
-मिर्जा वसीउद्दीन, अध्यक्ष, फीकॉम