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गर्भवती महिलाओं को रेफर कर दो, छूटे जान

जिले के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों और डिस्पेंसरियों में में जच्चा-बच्चा के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इन केंद्रों में डिलीवरी के लिए आने वाली अधिकांश महिलाओं को बादशाह खान अस्पताल रेफर कर दिया जाता है या फिर टरका दिया जाता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 08:28 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 08:28 PM (IST)
गर्भवती महिलाओं को 
रेफर कर दो, छूटे जान
गर्भवती महिलाओं को रेफर कर दो, छूटे जान

अनिल बेताब, फरीदाबाद : जिले के अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों और डिस्पेंसरियों में में जच्चा-बच्चा के जीवन के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इन केंद्रों में डिलीवरी के लिए आने वाली अधिकांश महिलाओं को बादशाह खान अस्पताल रेफर कर दिया जाता है या फिर टरका दिया जाता है।

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मंगलवार सुबह रमेश की पत्नी सुदामा देवी के साथ भी ऐसा ही हुआ। हैरानी की बात है कि परिजनों की ओर से कई बार आवाज देने पर भी डिस्पेंसरी के अंदर मौजूद महिला कर्मचारी ने देर तक दरवाजा ही नहीं खोला। परिजनों की ओर से देर तक गुहार लगाने के बाद जब दरवाजा खुला, तब तक सुदामा देवी डिस्पेंसरी के बाहर बच्चे को जन्म दे चुकी थीं। महिला कर्मचारी ने परिजनों से बादशाह खान अस्पताल जाने को कहा। हालांकि गनीमत रही कि जच्चा-बच्चा ठीक हैं। बाद में परिजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. असरुद्दीन से जाकर मिले और शिकायत दी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.असरुद्दीन के आदेश पर उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश सेक्टर-21 डी डिस्पेंसरी गए और उन्होंने सुदामा और उनके पति रमेश से मामले की जानकारी ली। डॉ. रमेश ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. असरुद्दीन को जांच रिपोर्ट में बताया कि वहां रात की पाली में स्टाफ ही नहीं था। सवाल उठता है कि जब सभी डिस्पेंसरियों में जच्चा-बच्चा को 24 घंटे सेवा का दावा किया जाता है तो डिस्पेंसरी क्यों बंद थी। पहले भी आए हैं कई मामले

सेक्टर-21 डी डिस्पेंसरी से पहले भी अन्य कई केंद्रों में ऐसे मामले आए हैं, जिनमें महिलाओं को रेफर करने पर अधिक ध्यान दिया गया है। बादशाह खान अस्पताल में रेफर होकर आने वाले अधिकांश केस तिगांव स्वास्थ्य केंद्र और बल्लभगढ़ सरकारी अस्पताल से होते हैं। मैंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में डिस्पेंसरी बंद होने की शिकायत की थी। मगर इस मामले में जांच करके किसी भी डॉक्टर, स्टाफ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। सिर्फ खानापूर्ति की गई है।

-रमेश, सुदामा देवी का पति। हम सभी स्वास्थ्य केंद्रों और डिस्पेंसरियों में स्टाफ की कमी को दूर करेंगे। कई जगह स्टाफ कम है। स्टाफ की कमी दूर होगी तो सिस्टम में सुधार होगा। जच्चा-बच्चा को बेहतर सेवाएं दी जाएंगी।

-डॉ.असरुद्दीन, मुख्य चिकित्सा अधिकारी। दो माह के दौरान बीके अस्पताल में आए डिलीवरी के मामलों का ब्यौरा

महिना-डिलीवरी-रेफर हो कर आई महिलाएं

-सितंबर-632-125

-अक्टूबर-646-112


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