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किडनी रैकेट सरगना का सहयोगी लाखों के गड़बड़झाले में नामजद

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद साल 2008 में सामने आए किडनी रैकेट के सरगना अमित कुमार के सहयोगी विरेंद्र विक्रम पर फरीदाबाद व नोएडा के कई लोगों से लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगा है। उन्होंने हर्बल दवा कंपनी में शेयर देने के नाम पर दो-दो लाख रुपये ले लिए। बाद में ना शेयर दिए और ना ही रुपये। आरोप है कि जिस कंपनी में वह शेयर देने की बात कर रहा था, वह भी फर्जी है। फरीदाबाद के पांच लोगों की शिकायत पर बीपीटीपी थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Jan 2019 06:31 PM (IST)Updated: Sun, 06 Jan 2019 06:31 PM (IST)
किडनी रैकेट सरगना का सहयोगी लाखों के गड़बड़झाले में नामजद
किडनी रैकेट सरगना का सहयोगी लाखों के गड़बड़झाले में नामजद

- फरीदाबाद के पांच लोगों की शिकायत पर दर्ज हुआ मुकदमा

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- शिकायतकर्ताओं का आरोप नोएडा में भी ठगा है लोगों को

हरेंद्र नागर, फरीदाबाद

साल 2008 में सामने आए किडनी रैकेट के सरगना अमित कुमार के सहयोगी विरेंद्र विक्रम पर फरीदाबाद व नोएडा के कई लोगों से लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगा है। उन्होंने हर्बल दवा कंपनी में शेयर देने के नाम पर दो-दो लाख रुपये ले लिए। बाद में ना शेयर दिए और ना ही रुपये। आरोप है कि जिस कंपनी में वह शेयर देने की बात कर रहा था, वह भी फर्जी है। फरीदाबाद के पांच लोगों की शिकायत पर बीपीटीपी थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

गांव बड़ौली निवासी वेदप्रकाश ने शिकायत में कहा है कि नोएडा निवासी भांजे कुलदीप नागर के माध्यम से उसकी मुलाकात बादलपुर गौतमबुद्ध नगर यूपी निवासी विरेंद्र विक्रम और उसके बेटे दीपक विक्रम से हुई थी। उन्होंने वेदप्रकाश से कहा कि उसकी हर्बल दवा बनाने की फैक्ट्री है। उसके विस्तार के लिए वह गांव धूम मानिकपुर में जमीन ले रहा है। उसने वेदप्रकाश को ऑफर दिया कि दो लाख रुपये में उसे कंपनी में शेयरधारक बना देगा। भांजे कुलदीप द्वारा उसे जान-पहचान का बताने के चलते वेदप्रकाश ने दो लाख रुपये दे दिए। इसके अलावा अपने रिश्तेदारों हरिप्रकाश, राजकुमारी, अभिमन्यु, ब्रह्मप्रकाश से भी दो-दो लाख रुपये दिला दिए। बाद में उन्हें पता चला कि विरेंद्र विक्रम ने जमीन अपने नाम से खरीद ली है। वहां वह कोई दवा कंपनी नहीं बनाने जा रहा। लोगों ने अपने रुपये मांगने शुरू किए तो उन्हें चेक देकर रुपये लौटाने का वादा कर दिया। बाद में चेक बाउंस हो गए। जब वेदप्रकाश अपनी भांजे के पास इस बाबत पहुंचा तो उसने बताया कि विरेंद्र विक्रम ने नोएडा में भी कई लोगों से इसी तरह रुपये ऐंठे हुए हैं। वह खुद उसके जाल में फंस गया। इन लोगों ने पुलिस को बताया है कि विरेंद्र विक्रम ऑडी व मर्सिडीज कारों में चलता है। लोगों को अपना रुतबा दिखाकर फांस लेता है। साथ ही यह भी जानकारी दी कि साल 2017 में पकड़े गए किडनी रैकेट के सरगना डॉक्टर अमित कुमार का भी वह सहयोगी रहा। अमित जिस बीएमडब्ल्यू कार में चलता था वह विरेंद्र विक्रम के नाम से पंजीकृत थी। पुलिस ने उस कार को भी कब्जे में लिया था। डीसीपी लोकेंद्र ¨सह ने बताया कि शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जांच की जा रही है।


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