रिश्तों में मिठास बढ़ाता है छठ पर्व
छठ पर्व के दूसरे दिन खरना बनाने और सेवन करने से रिश्तों में मिठास बढ़ती है। परंपरागत तरीके से जब सगे, संबंधी और पड़ोसी मिलकर साथ में खीर और रोटी खाते हैं तो भाईचारा बढ़ता है। छठ पर्व के दूसरे दिन खरना बनाने और सेवन करने से रिश्तों में मिठास बढ़ती है। परंपरागत तरीके से जब सगे, संबंधी और पड़ोसी मिलकर साथ में खीर और रोटी खाते हैं तो भाईचारा बढ़ता है।
अनिल बेताब, फरीदाबाद : छठ पर्व के दूसरे दिन खरना बनाने और सेवन करने से रिश्तों में मिठास बढ़ती है। परंपरागत तरीके से जब सगे, संबंधी और पड़ोसी मिलकर साथ में खीर और रोटी खाते हैं तो भाईचारा बढ़ता है। सोमवार को शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पूर्वांचल के मूल निवासियों ने घरों में खरना बनाया। रात को घरों में खासी रौनक रही। खरना को लेकर एक खास बात यह भी है कि जो लोग छठ व्रत नहीं रखते या छठ पूजा नहीं करते, वे खरना प्रसाद का सेवन कर मन्नत मांग लेते हैं। मन्नत में लोग यही चाहते हैं कि छठ मइया उनके मन की सुन ले। अगर लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है तो इससे अगले वर्ष लोग छठ मइया की पूजा करने लगते हैं। शहर में ऐसे कई लोग हैं, जिन्होंने पिछले वर्षों में खरना प्रसाद खाया था और उनकी मन्नत पूरी हुई है। मैंने पिछले वर्ष छठ पर्व के दौरान खरना प्रसाद खाया था और छठ मइया से औलाद की मन्नत मांगी थी। मेरी मन्नत पूरी हुई है। छठ पर जब खरना बनाया जाता है तो सगे, संबंधियों को भी बुलाया जाता है। सब मिल कर खरना का सेवन करते हैं। इससे रिश्तों में मिठास बढ़ती है।
-प्रियंका ¨सह, सेक्टर-तीन निवासी।