वतन पर मर-मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा
मेरा रंग दे बसंती चोला जैसे गीतों की धुन के बीच दी अपने जिले के शहीद को विदाई -पूरे रास्ते होती रही शहीद संदीप के पार्थिव शरीर वाली गाड़ी पर पुष्प वर्षा -बल्लभगढ़ के बाजार रहे बंद, युवाओं ने तिरंगों से बनाया माहौल मेरा रंग दे बसंती चोला जैसे गीतों की धुन के बीच दी अपने जिले के शहीद को विदाई -पूरे रास्ते होती रही शहीद संदीप के पार्थिव शरीर वाली गाड़ी पर पुष्प वर्षा -बल्लभगढ़ के बाजार रहे बंद, युवाओं ने तिरंगों से बनाया माहौल मेरा रंग दे बसंती चोला जैसे गीतों की धुन के बीच दी अपने जिले के शहीद को विदाई -पूरे रास्ते होती रही शहीद संदीप के पार्थिव शरीर वाली गाड़ी पर पुष्प वर्षा -बल्लभगढ़ के बाजार रहे बंद, युवाओं ने तिरंगों से बनाया माहौल
सुशील भाटिया, फरीदाबाद
दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए, हम जिएंगे और मरेंगे ए वतन तेरे लिए। बल्लभगढ़ उपमंडल के गांव अटाली के वीर संदीप ने फिल्म कर्मा के इस गीत को अपने जीवन में चरितार्थ किया। श्रीनगर में आतंकवादियों की तलाश में सेना के आपरेशन के दौरान 12 फरवरी को घायल हुए संदीप ने 19 फरवरी को अंतिम सांस ली। इस बाबत सूचना मंगलवार शाम को फरीदाबाद पहुंच चुकी थी और शहर-देहात के हर वर्ग के लोग अपने जांबाज को अंतिम विदाई देने के लिए तैयार हो गए थे।
बुधवार को सुबह 11 बजे से ही राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे बल्लभगढ़ के मुख्य चौराहे पर युवा हाथों में तिरंगा लिए जुटने शुरू हो गए थे। अपने सपूत के सम्मान में बल्लभगढ़ के प्रमुख बाजार को व्यापारियों ने बंद रखा था। इधर जैसे-जैसे घड़ी की सुईयां आगे बढ़ रही थी, लोगों की भीड़ भी बढ़ने लगी थी। दोपहर होते-होते तो जाम की सी स्थिति बन गई। इस पर पुलिस को पुल के नीचे के यातायात को बंद करना पड़ा और वाहनों को ऊपर से ही निकलवाया। दोपहर बाद 2.25 बजे जब पुलिस व मिलिट्री की पायलट गाड़ियां सायरन बजाते हुए पहुंची, तो यह संकेत मिल गया कि शहीद संदीप के पार्थिव शरीर को लेकर गाड़ी आ गई है, रास्ता खाली करो। बल्लभगढ़ के प्रमुख चौराहे से ही अंतिम यात्रा शुरू हुई और गांव अटाली में जहां संदीप का निवास है, वहां तक 15 किलोमीटर तक लोग पैदल भी चले, मोटर साइकिलों पर भारत माता की जय के नारों, पाकिस्तान मुर्दाबाद और शहीद संदीप अमर रहे के नारों के बीच भी रास्ता तय हुआ, तो अब बड़े संगीत के बॉक्सों वाली करीब 10 गाड़ियां, जिसमें ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी, ऐ मेरे प्यारे वतन तुझ पे दिल कुर्बान, मेरा रंग दे बसंती चोला, कर चले हम फिदा जाना तन साथियों आदि बज रहे थे। यह सारा माहौल पूरी तरह से देशभक्ति, देशप्रेम के रंग में रंग चुका था।
पूरे रास्ते में जहां-जहां दुकानें, मकान और बड़ी इमारतें थी, उन की छतों पर पेड़ों पर लोग खड़े थे और अपने देश के वीर सपूत के पार्थिव शरीर से सजी गाड़ी पर पुष्प वर्षा कर रहे थे। रास्ते में दोनों ओर सड़क पर लंबी लाइनें लगी थी, जो शहीद को नमन कर भारत माता की जय के नारों से माहौल गुंजायमान कर रहे थे। दयालपुर से आए महावीर मास्टर जो शहीद संदीप की पत्नी गीता के चाचा हैं ने बताया कि जैसी विदाई संदीप को मिली है और लोगों में जो जोश, सम्मान देखने को मिला, ऐसे क्षण न भूलने वाले हैं। संदीप ने अपना नाम सुनहरे अक्षरों में शहादत देने वालों की सूची में शामिल कर लिया। वतन पर मिटने वालों का तो यही बाकी निशां होता है।