लाकडाउन के बाद कहीं नौकरी नहीं मिली, तब किया फैक्ट्री में काम
सेक्टर-37 अनंगपुर डेयरी स्थित बैट्री बनाने की फैक्ट्री में आग लगी।
जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : सेक्टर-37 अनंगपुर डेयरी स्थित बैट्री बनाने की फैक्ट्री में आग लगने से लालकुआं दिल्ली निवासी अंकित, सुनील और सतवीर की मौत हो गई। उनके परिवार वालों ने बताया है कि तीनों ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की थी। आस-पास रहने के कारण वे एक-दूसरे को जानते थे। लाकडाउन के बाद उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिली तो खर्चा चलाने के लिए बैट्री बनाने की फैक्ट्री में नौकरी कर ली। वे यहां करीब एक साल से नौकरी कर रहे थे। उन्हें 10 से 12 हजार रुपये मासिक वेतन मिलता था। तीनों के पर थी परिवार की जिम्मेदारी
आग के कारण जान गंवाने वाले तीनों युवकों के सिर पर परिवार की जिम्मेदारी थी। अंकित दो भाइयों और एक बहन में सबसे बड़ा था। सतवीर चार भाइयों में दूसरे नंबर का था। उसके बड़े भाई की बीमारी के कारण मौत हो चुकी है, अब वही सबसे बड़ा था। इसके अलावा सुनील तीन भाइयों में सबसे छोटा था। सतवीर की करीब एक साल पहले शादी हुई। करीब 10 दिन पहले ही उसकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया है। दो दिन पहले उसने पत्नी दुर्गेश के साथ अपनी शादी की सालगिरह मनाई थी। एक दिन पहले भी फटी थी बैट्री
आग लगने पर बच निकलने में कामयाब हुए अमृत उर्फ पिटू ने बताया कि शुक्रवार को भी फैक्ट्री में धमाके के साथ बैट्री फटी थी, मगर तब आग नहीं लगी। शनिवार को भी जब बैट्री फटी तो चारों ने पहले उसे हल्के में ही लिया, मगर जब आग भड़की तो वे इधर-उधर भागे। पिटू ने आरोप लगाया कि यह फैक्ट्री पंजीकृत भी नहीं है। फैक्ट्री मालिक का करंट अकाउंट भी नहीं है। इसलिए वह कर्मचारियों के खाते में ही बिक्री के रुपये मंगवाता था। पिटू ने बताया कि फैक्ट्री मालिक को आग से निपटने के इंतजाम करने के लिए वे कई बार कह चुके थे। मुंडका दिल्ली हुए अग्निकांड के बाद सभी कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर चितित थे। बच सकती थी तीनों की जान
फैक्ट्री की दूसरी ईकाई में काम करने वाले कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि फायर ब्रिगेड ने मौके पर पहुंचने में करीब 45 मिनट का समय लिया, जबकि फायर स्टेशन घटनास्थल से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है। फायर ब्रिगेड कर्मचारियों को उन्होंने अंदर तीन लोगों के फंसे होने की जानकारी दी थी, मगर उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और आग बुझाने में जुट गए। आग बुझने के बाद भी किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया। पिटू ने बताया कि तीनों अंदर टायलेट में बंद है। इसके बाद फैक्ट्री के पीछे की दीवार तोड़कर तीनों के शव बाहर निकाले गए। अगर यह उपाय पहले कर लिया जाता तो तीनों को समय रहते बाहर निकाल जा सकता था। शायद उनकी जान बच जाती।