पूर्वोत्तर के कार चोर गिरोहों को भा रहे युवा इंजीनियर
इंजीनियरिग संस्थानों से पासआउट युवा पूर्वोत्तर राज्यों के संगठित कार चोर गिरोहों के लिए काम करते हैं।
हरेंद्र नागर, फरीदाबाद : इंजीनियरिग संस्थानों से पासआउट युवा पूर्वोत्तर राज्यों के संगठित कार चोर गिरोहों को खूब भा रहे हैं। मणिपुर में छापेमारी के दौरान फरीदाबाद की क्राइम ब्रांच टीम को इन गिरोह के वारदात के तरीकों के बारे में काफी जानकारी मिली है। क्राइम ब्रांच के मुताबिक, पूर्वोत्तर राज्यों से कई कार चोर गिरोह संचालित हो रहे हैं। इनकी प्राथमिकता महंगी कारें हैं। हालांकि इन कारों का लॉकिग सिस्टम कंप्यूटर आधारित होता है, जिसे खोलना आसान नहीं होता। इंजीनियर होने के चलते ये युवा ऑटोमेटिक कारों का लॉक चुटकियों में खोलने में माहिर होते हैं। ऐसे में मोटी कमाई का लालच देकर इन्हें गिरोह में शामिल किया जा रहा है।
गिरोह में इन युवाओं को 'मास्टर की' के नाम से जाना जाता है। हर गिरोह में ऐसी आठ से दस 'मास्टर की' होते हैं। पूरे देश में कार चोरी करने वाले इन गिरोह की पसंद दिल्ली-एनसीआर के अलावा मुंबई, चेन्नई, कोलकाता जैसे मेट्रो सिटी हैं, क्योंकि यहां कम दायरे में अधिक कारें मिल जाती हैं। जहां चोरी करनी होती है, वहां 'मास्टर की' को हवाई जहाज से भेजा जाता है। ये एक बार में पांच से छह कारों को निशाना बनाते हैं और हवाई जहाज से वापस लौट जाते हैं। इनका काम केवल कार का ईसीएम (इंजन कंट्रोल मॉड्यूल) हैक कर लॉक खोलने का होता है। कार ले जाने वाले अलग होते हैं। एक कार का लॉक खोलने के लिए इन्हें आसानी से पांच से आठ हजार रुपये मिलते हैं। कार का कंप्यूटर आधारित लॉकिंग सिस्टम को ये दो मिनट से भी कम समय में खोल लेते हैं। छापेमारी में क्राइम ब्रांच को मिली अहम कामयाबी
क्राइम ब्रांच सेक्टर-30 पुलिस ने पिछले दिनों मणिपुर के कार चोर गिरोह से जुड़े अबंग मेहताब व कबीर अहमद नाम के युवकों को गिरफ्तार किया था। इनमें से अबंग मेहताब एमफिल पास है और पीएचडी की तैयारी कर रहा है। दोनों का काम चोरी की कारें मणिपुर तक पहुंचाने का था। इंस्पेक्टर विमल कुमार, सब इंस्पेक्टर रविदर और सिपाही मनोज सहित पांच लोग की टीम दोनों को लेकर इस वक्त मणिपुर में छापेमारी कर रही है। छापेमारी में टीम वहां कारों के दो रिसीवर पर शिकंजा कसने में कामयाब हुई है। शुक्रवार को टीम वापस लौटेगी।