बजट में फिर अन्य खर्चों से मालामाल होने की तैयारी
नगर निगम सदन की मंगलवार को बजट बैठक हुई। बैठक में जो लेखा-जोखा पेश किया गया है, उसमें वर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित आय तो 23
सुशील भाटिया, फरीदाबाद : नगर निगम सदन की मंगलवार को बजट बैठक हुई। बैठक में जो लेखा-जोखा पेश किया गया है, उसमें वर्ष 2019-20 के लिए अनुमानित आय तो 2386.94 करोड़ दर्शायी गई है, पर व्यय का जो हिसाब दिया गया है, उसमें छिपी हुई मदों पर ही 142.56 करोड़ रुपये खर्चा दिखाया है, मजे की बात है कि अन्य मदों पर से आय 66.34 करोड़ दिखाया गया है यानि खर्च करने में अव्वल और आय की तरफ ध्यान नहीं। यही नहीं 1 अप्रैल-2019 को ओप¨नग बैलेंस भी 344.36 करोड़ दिखाया गया है, इससे स्पष्ट होता है कि निगम के पास धन तो है और अगर रुपये हैं, तो फिर पार्षद विकास कार्य न होने का रोना क्यों रो रहे हैं।
निगम कार्यों की बारीकियों से अवगत और अधिकारियों के खेल से वाकिफ विशेषज्ञों के अनुसार इन्हीं छिपी हुई मदों में ही सारा खेल होता है और निगम के कई अधिकारी जो पूर्व की सरकारों में भी घालमेल करते आए हैं, उनका खेल वर्तमान सरकार में ही चल रहा है। मंगलवार को जब बजट पेश किया गया, तब एक बार फिर कई पार्षदों ने अपने क्षेत्र के लिए सीएम घोषणा के अनुरूप दो-दो करोड़ रुपये न देने का दुखड़ा जोरशोर से रोया। पार्षदों ने कहा कि एक साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक पार्षद ग्रांट के दो करोड़ रूपये नहीं आए है, जिससे विकास कार्य धीमी गति से हो रहे है। वहीं निगमायुक्त अनीता यादव ने सभी को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार से बातचीत हो चुकी है और यह ग्रांट 31 मार्च तक या उससे भी पहले मिलने की उम्मीद है। इस दौरान सत्ता पक्ष के पार्षदों ने मेंजे थपथपा कर इसका समर्थन किया, जबकि सरकारी के विरोधी पार्षदों ने कहा कि देखते हैं कि यह वादा कब पूरा होता है।
इन मदों से आय जुटाने की उम्मीद
जो बजट पेश किया गया है, उसके अनुसार निगम ने कैपिटल आय अनुदान में 1747 करोड़ रुपये दर्शाए हैं। सरकार से विशेष अनुदान 82.87 करोड़ को भी आय में शामिल किया गया है। जबकि विभिन्न करों यानी टैक्स से 150 करोड़ रुपये आय, लाइसेंस फीस व प्ला¨नग विभाग से 340.03 करोड़ एवं अन्य मदों से 66.34 करोड़ रुपये आय होना दर्शाया गया है। इसमें मुख्यमंत्री द्वारा घोषणाओं के लिए 650 करोड़ मिलने और राज्य सरकार से अनुदान के रूप में 197 करोड़ की राशि को भी अनुमानित आय में जोड़ा गया है यानी स्पष्ट है कि निगम आय के अपने स्त्रोत बनाने की बजाय सरकार पर ही ज्यादा निर्भरता जता रही है। इसके अलावा संपत्ति कर से 68 करोड़, मल्टीप्लैक्स से मात्र 2 लाख रुपये मिलना दर्शाया गया है, जबकि गत वर्ष मल्टीप्लैक्स से पांच लाख रुपये की आय दर्शायी गई थी। यह आय बढ़ने की बजाय कम हो गई। इसी तरह से पानी आपूर्ति से गत वर्ष 25 करोड़ रुपये आय दिखाई गई थी, जबकि इस बार यह 19 करोड़ होने के अनुमान लगाए गए हैं, सीधे तौर पर छह करोड़ की कमी। यहां यह गौर करने की बात है कि आबादी के बढ़ने और क्षेत्र बढ़ने पर कनेक्शन तो बढ़ने चाहिए, फिर आय कम क्यों। आय के मुकाबले खर्चे अनाप-शनाप बेशुमार
अब अगर व्यय की मद पर नजर डालें, तो इसमें निगम के भवनों के निर्माण व मरम्मत कार्यों पर 9.8 करोड़ रुपये खर्च होना दिखाया गया है, जबकि गत वर्ष यह 7.2 करोड़ था। पार्कों पर 18.95 करोड़, स्ट्रीट लाइट्स पर 37.40 करोड़, ड्रेनेज पर 123.95 करोड़ रुपये खर्च होंगे। गत वर्ष 79 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
वाटर सप्लाई पर गत वर्ष 87 करोड़ खर्च करना दिखाया गया था, जबकि इस बार 112.60 करोड़ रुपये खर्च होंगे। क्रशर जोन व टीपी स्कीम पर गत वर्ष 190 करोड़ के मुकाबले इस बार 219 करोड़ रुपये का खर्च दिखाया गया है। अमृरुत स्कीम पर पिछले वर्ष 100 करोड़ रुपये के मुकाबले इस बार 235 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 26 करोड़ रुपये से खरीदे जाएंगे नए वाहन
नगर निगम फिर 26 करोड़ रुपये से नए वाहन खरीदने की तैयारी में है। बजट में इसका उल्लेख है। गत वर्ष भी नए वाहनों की खरीद के लिए 5.5 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। हैरानी की बात है और कोई पूछने वाला भी नहीं कि मद नंबर 14 व 15 पर भारी भरकम जो 749.35 करोड़ रुपये व 175.64 करोड़ रुपये खर्च दिखाया गया है। यह खर्च अदर्स ग्रांट व अन्य मिसलेनियस के हैं। इसके अलावा 142.56 करोड़ रुपये वकीलों की फीस, आडिट फीस, बिलों की अदायगी, वाहनों की मरम्मत, नए वाहनों की खरीद, एलआइसी, एनसीआरपीबी, हुडको से लिए गए ऋणों की अदायगी का प्रावधान किया गया है। विशेषज्ञों के अनुसार यह ऐसे छिपे हुए खर्चें हैं, जिसमें खूब गोलमाल होता है।