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बहुरंगी विरासत को संजो रहे बहुरूपिया कलाकार

सुधाशु त्रिपाठी, फरीदाबाद : आदि पत्रकार नारद मुनि, दीन-ए-इलाही शहंशाह अकबर, आदिवासी राजा

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 06:06 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 06:06 PM (IST)
बहुरंगी विरासत को संजो  रहे बहुरूपिया कलाकार
बहुरंगी विरासत को संजो रहे बहुरूपिया कलाकार

सुधाशु त्रिपाठी, फरीदाबाद : आदि पत्रकार नारद मुनि, दीन-ए-इलाही शहंशाह अकबर, आदिवासी राजा और हम सबको हंसाने वाले जोकर बहुरूपिया कलाकारों से हम एक साथ मिल सकते हैं। इनसे बात कर सकते हैं। इनके सुख-दुख जान और समझ सकते हैं।

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जी हा, देश की इस बहुरंगी, बहुआयामी विरासत को देखने के लिए आपको 33वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में आना होगा। देश-विदेश से आए कलाकार आपका मनोरंजन करने के लिए तैयार बैठे हैं। मेले में राजस्थान के बादीकुई जिले के बहुरूपिया कलाकार भाइयों शमशाद, अब्दुल हमीद, नौशाद, सलीम और फरीद से मुलाकात हुई। नारद मुनि का रूप धरे शमशाद कहने लगे : पिछले कई दशकों से मेरा पूरा कुनबा परंपरागत बहुरूपिया कला को संजोए रखने का प्रयास कर रहा है। देशभर में आयोजित होने वाले सास्कृतिक मेलों में हम लोग बुलावे पर और नहीं बुलाने पर भी जीविकोपार्जन के लिए जाते रहते हैं।

अकबर बने अब्दुल हमीद कहते हैं : लोगों को हंसाने में मुझे आत्मसंतुष्टि मिलती है। यह किसी भी पारिश्रमिक से ज्यादा मूल्यवान है। मेरे मन में एक टीस है..हम लोग अपनी जिंदगी के गमों को सीने में दबाते हैं, विभिन्न मनोभावों और संवादों के माध्यम से हम लोगों को जीवन में एक बार फिर से खिलखिलाने का मौका देते हैं। हम बहुरूपिया कलाकारों के बारे में सरकार उम्मीद के हिसाब से ज्यादा कुछ नहीं करती। इसकी हमें तकलीफ है। बीमार पिता का इलाज नहीं करा पा रहे

बहुरूपिया कलाकार शमशाद के अनुसार, उनके पिता शुभराति बहुरूपिया भी मेलों में विभिन्न देवताओं का रूप धरकर लोगों का मनोरंजन करते थे। आज वह बीमार हैं। डायलिसिस चल रही है। एक किडनी खराब हो चुकी है और दूसरी भी पूरी तरह से संक्रमित है। आय का कोई अन्य साधन नहीं है। उनका अच्छा उपचार कराने में हम अक्षम हैं। राजस्थान और दिल्ली में कुछ नेताओं और आला अफसरों के यहा आर्थिक मदद के लिए प्रार्थना पत्र दिया है मगर अब तक कोई सुनवाई नहीं हो सकी है। बढ़ाया गया पारिश्रमिक है नाकाफी

बहुरूपिया कलाकार शमशाद ने बताया कि हरियाणा सरकार ने इस बार मेले में भाग लेने वाले लोक कलाकारों का पारिश्रमिक 250 रुपये बढ़ाया है। बढ़ती महंगाई और ड्रेस-मेकअप खर्चे के लिहाज से यह काफी कम है। पहले कलाकारों को 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता था मगर मनोहर लाल सरकार अब मेले में आए लोक कलाकारों को 750 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान करेगी। इन कलाकारों ने प्रतिदिन एक हजार रुपये भुगतान की माग उठाई है।


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