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अवैध आधार कार्ड बनाने का भंडाफोड़

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद: आधार कार्ड की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा है। यहां संजय कॉलोनी में राजेंद्र चौक पर आधार कार्ड बनाने का अवैध केंद्र चला रहे दो युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वे आपस में फूफा-भतीजे हैं। उन्होंने तिकड़म भिड़ाकर यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) की ऑपरेटर आइडी प्राप्त कर ली थी। वे 200 से 500 रुपये लेकर बिना कोई दस्तावेज देखे लोगों के आधार कार्ड धड़ल्ले से बना रहे थे। आरोपितों की पहचान गांव लुचियान जिला गाजीपुर बिहार निवासी विकास गुप्ता उर्फ जितेंद्र और दीपक गुप्ता के रूप में हुई है। इनके कब्जे से कंप्यूटर, 43 आधार कार्ड, 22 रसीदें बरामद हुई हैं। आरोपितों ने कबूला है कि अब तक वे करीब 150 नए आधार कार्ड बना चुके हैं, करीब 400 आधार कार्डों में पता या जन्मतिथि में बदलाव किया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 06:49 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 07:03 PM (IST)
अवैध आधार कार्ड बनाने का भंडाफोड़
अवैध आधार कार्ड बनाने का भंडाफोड़

जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : आधार कार्ड की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा है। यहां संजय कॉलोनी में राजेंद्र चौक पर आधार कार्ड बनाने का अवैध केंद्र चला रहे दो युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वे आपस में फूफा-भतीजे हैं। उन्होंने तिकड़म भिड़ाकर यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआइडीएआइ) की ऑपरेटर आइडी प्राप्त कर ली थी। वे 200 से 500 रुपये लेकर बिना कोई दस्तावेज देखे लोगों के आधार कार्ड धड़ल्ले से बना रहे थे। आरोपितों की पहचान गांव लुचियान जिला गाजीपुर यूपी निवासी विकास गुप्ता उर्फ जितेंद्र और दीपक गुप्ता के रूप में हुई है। इनके कब्जे से कंप्यूटर, 43 आधार कार्ड, 22 रसीदें बरामद हुई हैं। आरोपितों ने कबूला है कि अब तक वे करीब 150 नए आधार कार्ड बना चुके हैं, करीब 400 आधार कार्डों में पता या जन्मतिथि में बदलाव किया है।

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जांच अधिकारी अनूप ¨सह ने बताया कि मुख्य आरोपित दीपक गुप्ता ने साल 2017 में इलाहाबाद बैंक की पटना शाखा में बनाए गए यूआइडीएआइ के क्षेत्रीय कार्यालय में बतौर कर्मचारी काम किया है। वहां उसने साजिश के तहत अपने एक साथी कर्मचारी का लैपटॉप तोड़ दिया था। इसके बाद साथी को अपना लैपटॉप दे दिया और उसका लैपटॉप लेकर फरीदाबाद आ गया। वहां से नौकरी भी छोड़ दी। दिल्ली से साथी का लैपटॉप सही करा लिया। यहां साथी की ऑपरेटर आइडी पर लोगों के आधार कार्ड बनाने लगा। कुछ समय बाद मितलेश नाम के कर्मचारी को 15 हजार रुपये देकर यूआइडीएआइ की नई ऑपरेटर आइडी बनवा ली और उससे आधार कार्ड बनाने लगा। आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है। बेहद शातिर तरीके से करता था काम

यूआइडीएआइ की तरफ से जिस लैपटॉप पर ऑपरेटर आइडी दी जाती है, उसका गलत इस्तेमाल रोकने के लिए जीपीएस लगा होता है। निर्धारित जगह पर ही उस लैपटॉप पर आधार कार्ड बनाए जा सकते हैं। चूंकि दीपक एक साल यूआइडीएआइ के कार्यालय में काम कर चुका था, ऐसे में उसे सारे दांवपेंच पता थे। वह ऐसे समय पर आधार कार्ड बनाता था कि यूआइडीएआइ उसकी लोकेशन नहीं ट्रेस कर पाई। उसने ज्यादातर यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश के प्रवासियों के आधार कार्ड बनाए हैं, जिनके पास फरीदाबाद में रहने के पुख्ता प्रमाण पत्र नहीं है। इस तरह आए पकड़ में

कोतवाली क्षेत्र का एक युवक इनके पास अपने दादा-दादी के आधार कार्ड में हुई एक गलती ठीक कराने गया था। उससे इन्होंने रुपये लेकर कहा कि काम हो जाएगा। युवक से कोई कागजात भी नहीं मांगे गए। युवक को शक हुआ तो इनके खिलाफ पुलिस को शिकायत दी। मामले की जांच क्राइम ब्रांच सेक्टर-56 के पास पहुंची। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो सारा मामला सामने आया। हमारी एक टीम पटना जाएगी। वहां जाकर पता चलेगा कि इन्होंने किस तरह आइडी प्राप्त की। इस फर्जीवाड़े में और कौन-कौन लोग शामिल हैं, यह भी पता किया जाएगा।

-आनंद ¨सह, प्रभारी, सेक्टर-56 क्राइम ब्रांच


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