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परिवार जैसा नाता बना, मातृभाषा से जोड़े रखा

दैनिक जागरण पिछले 75 वर्षों से देश को जगाता आ रहा है और इस गरिमामयी यात्रा के इस विशिष्ट

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 07:28 PM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 07:28 PM (IST)
परिवार जैसा नाता बना, मातृभाषा से जोड़े रखा
परिवार जैसा नाता बना, मातृभाषा से जोड़े रखा

दैनिक जागरण पिछले 75 वर्षों से देश को जगाता आ रहा है और इस गरिमामयी यात्रा के इस विशिष्ट पड़ाव तक पहुंचाने की हार्दिक बधाई। बचपन से जो अपने बुजुर्गों को दैनिक जागरण पढ़ते देखा तो समाचार पत्र पढ़ने में रुचि स्वत: ही बढ़ती चली गई। देश विदेश की खबरें हों या खेल जगत और पर्यावरण के प्रति जागरूकता दैनिक जागरण ने भारत के जन मानस को जगाए रखा। ¨हदी भाषा के प्रति श्रद्धा, रुझान और भाषा पर पकड़ बनाने और बनाए रखने में दैनिक जागरण का योगदान मेरे बचपन से रहा है। अंग्रेजी सीखना छात्र जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा था, परंतु ¨हदी भाषा के माध्यम से चहुं दिशा की जानकारी देते दैनिक जागरण के दैनिक रूप से शुभप्रभात की यात्रा ने मुझे मातृ भाषा से जोड़े रखा, जिसके लिए मैं बहुत आभारी हूं।

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मैं अंग्रेजी माध्यम स्कूल की प्रधानाचार्या हूं, पर अपने स्कूल के बच्चों का मातृभाषा से जुड़ाव रखना भी जरूरी है, इसके लिए दैनिक जागरण अखबार से बेहतर और क्या हो सकता है। न सिर्फ खबरों से बल्कि दैनिक जागरण एक ऐसा मंच है, जो हर वर्ग तक अपनी पहुंच रखता है। जवानों को राखी भेजने का दिल को छू जाने वाला भाव अपने आप में एक मिसाल है, जिसने छात्रों के प्रति देश के जवानों और देशभक्ति की भावना से राष्ट्रीयता से बांधे रखा। हर साल दैनिक जागरण की ओर से सीमा प्रहरियों तक पहुंचाई गई छात्राओं की राखियों के लिए मैं दैनिक जागरण को धन्यवाद देती हूं। पूर्व सैनिक होने के नाते घर से दूर बैठे सैनिक की भावना मैं गहराई तक समझ सकती हूं।

संस्कारशाला जैसे उदात्त संकल्प के लिए दैनिक जागरण विशेष प्रशंसा का पात्र है। आज के इस पाश्चात्य संस्कृति रंजित किशोर मनस को संस्कार शाला ने एक नया और प्रभावी मोड़ दिया है। किशोर चेतना को सकारात्मक दिशा में आगे ले चलने के विद्यालय के प्रयास में संस्कारशाला से बहुत लाभ हुआ है। समय- समय पर आयोजित किए जाने वाली प्रतियोगिताओं के माध्यम से दैनिक जागरण ने बहुत ही रोचक तरीके से स्वयं को देश की आने वाली पीढ़ी के बचपन से जोड़ा हुआ है। आज के युग में जब हर ओर से नकारात्मकता की झड़ी लगी हुई है, ऐसे में समय- समय पर जीवन को सकारात्मक बनाए रखने के प्रयासों के लिए दैनिक जागरण प्रशंसा का अधिकारी है।

छात्रों और विद्यालयों की उपलब्धियों को समुचित रूप से समाचार पत्र में सराहने पर शिक्षक के समाज दैनिक जागरण के आभारी हैं। छात्रों और अभिभावकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता जब वो अपनी उपलब्धियों को समाचार बनते देखते हैं। मुस्तैदी से छात्रों को साथ लेकर चलने के प्रयास के लिए दैनिक जागरण सराहनीय है।

समसामयिक और जन चेतना विषयों पर आधारित रैलियां भी समाज में नव ऊर्जा ने संचार का माध्यम बनी है। अपने बचपन से लेकर आने वाली पीढि़यों के बचपन से जुड़ी मेरी यात्रा में दिए हर योगदान, सफलता के लिए दैनिक जागरण का धन्यवाद व हृदय से आभार।

-फ्लाइट लेफ्टिनेंट अपर्णा गौतम पंडा, प्रधानाचार्या, सेंट जॉन्स पब्लिक स्कूल, सेक्टर-7ए फरीदाबाद

दैनिक जागरण से हमारा नाता उतना ही पुराना है, जितना हमारा इंस्टीट्यूट और उससे भी पहले जब हमारे पिता जी स्व.ओपी भल्ला सैनिक कॉलोनी आवासीय सोसाइटी के चेयरमैन हुआ करते थे। इस तरह अखबार से हमारा जुड़ाव 22 साल पुराना है। प्रत्येक इंसान की जब सुबह होती है, तो सबसे पहले भगवान का नाम लेने के बाद अपने घर आंगन में आए अखबार को उठा कर पढ़ता है। हमारी सुबह भी ऐसी ही होती है। अखबार कई आते हैं, पर सबसे पहले दैनिक जागरण उठाना और उसमें भी सबसे पहले फरीदाबाद जागरण सिटी में प्रकाशित खबरों को पढ़ता हूं कि हमारे शहर में आसपास क्या घटित हुआ और क्या होने वाला है। जागरण हमें अपने परिवार का सदस्य मानता है और हम जागरण को। जागरण में जोगिया, सम-सामयिक विषयों पर सप्ताह का साक्षात्कार विशेष रूप से पढ़ता हूं। मुझे यह अखबार खबरों में क्वालिटी कंटेंट के लिए अच्छा लगता है, ऐसा कंटेंट जिस पर भरोसा किया जा सकता है। अनावश्यक रूप से खबरों को बढ़ा चढ़ा कर पेश करना इस अखबार में नहीं है और यही जागरण की विश्वसनीयता है, यही हमें सुहाता है। जागरण ने इस भरोसे को लगातार कायम रखा है।

मुझे याद है कि एक बार मैंने संपादकीय मंडल को कुछ सुझाव भी भेजे, तो उनकी गंभीरता को देखते हुए जागरण प्रबंधन ने उनको लागू भी किया। सामाजिक, शैक्षणिक गतिविधियों, आम जनता से जुड़ी हुई समस्याओं संबंधी खबरें जो जागरण में है, वो किसी दूसरे में नहीं दिखी। शायद यही कारण है इस अखबार की प्रसार संख्या के लगातार बढ़ने में और नंबर एक पर निरतंर कई वर्षों से स्थापित होने का। मैं यह भी कहना चाहूंगा कि हमारे शैक्षणिक संस्थान की सफलता में जागरण का भी अहम योगदान रहा है और हमें हमेशा सकारात्मक सहयोग मिला है। जब मैं अपने शहर में नहीं हूं और बाहर हूं तो जागरण से सीधे रूबरू होने की कमी तो महसूस करता हूं, पर ई-पेपर और ऑन लाइन खबरों पर नजर डाल कर कमी को पूरा कर लेता हूं। दैनिक जागरण के 75 वर्ष पूरे होने पर बधाई, अगले 75 वर्षों के सफर के लिए मानव रचना शिक्षण संस्थान की ओर से शुभकामनाएं।

-डॉ.प्रशांत भल्ला, कुलपति, मानव रचना इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी

दैनिक जागरण के साथ हमारा रिश्ता तो 1994 से है। सुबह सबसे पहले दैनिक जागरण का मुख्य संस्करण, फिर जागरण सिटी पढ़ता और फिर तीसरा नंबर बिजनेस से संबंधित अंग्रेजी अखबार का आता है। जागरण का मुरीद मैं इसलिए हूं कि खबरें तो सभी समाचार पत्र देते हैं, पर समाज की समस्या को देख कर उसकी गंभीरता को समझते हुए न सिर्फ उसका अखबार में लिखना, बल्कि समस्या के समाधान की पहल सिर्फ जागरण में दिखती है। मुझे याद है कि बरसों पहले किसी भी तरह की खबर लिखने के साथ दूसरे पक्ष की बातचीत भी साथ में रखने का प्रचलन दैनिक जागरण ने ही शुरू किया। अगर किसी समस्या को सिर्फ यूं ही छाप दिया जाए, तो उसका प्रभाव शायद ही पड़े, पर जागरण ने संबंधित अधिकारी से बात कर उनका पक्ष भी प्रकाशित किया, जिससे अधिकारी के कान तक उसी समय बात भी पहुंच गई और अगले दिन खबर भी प्रकाशित होने पर शासन-प्रशासन हरकत में भी आता है। न सिर्फ खबरों को बल्कि समय-समय पर और कुछ मामलों में नियमित तौर पर जिस तरह के मुद्दे और आम व खास आदमी से जुड़े हुए और राष्ट्रहित में जिन विषयों को दैनिक जागरण ने उठाया, उससे पूरा समाज जुड़ गया। अब इन दिनों की ही बात करें, तो मृदा परीक्षण यानी किसान की मिट्टी की जांच का किसी भी अखबार से क्या सरोकार हो सकता है, पर किसान एक अन्नदाता है और उसके खेत में जो उगता है, उन सबका खाद्य पदार्थ के रूप में हम सब सेवन करते हैं। जागरण ने ही इस विषय की गहराई को समझा और खबरों के प्रकाशन के साथ-साथ किसानों के साथ कार्यशाला आयोजित करने की पहल की है। इसी तरह से एजुकेशन फेयर का आयोजन, जागरण आपके द्वार के तहत क्षेत्र विशेष की विभिन्न समस्याओं को प्रकाशन, संस्कारशाला के माध्यम से बच्चों में संस्कार के पुट भरना, हैलो जागरण के माध्यम से उच्च विभागीय अधिकारियों का सीधे जनता से संवाद कराना, परीक्षा के दिनों में विद्यार्थियों की समस्याओं को प्रकाशित करना, उन समस्याओं को दूर करने के लिए विशेषज्ञों की ओर से सुझाव देना जैसे कॉलम सिर्फ जागरण में ही दिखते हैं। यहां मैं साफ तौर पर कहना चाहूंगा कि दूसरे अखबारों ने इस तरह के आयोजनों के प्रयास तो किए, पर सफल नहीं हो सके। जागरण का जनता से सीधा जुड़ाव है और इन्हीं खूबियों के कारण आम और खास सभी का पसंदीदा अखबार है और इन्हीं कारणों से दैनिक जागरण ने एक रीडरशिप बिल्ट की है। समाज के नजदीक रहने की जो कला जागरण के पास है, वो किसी और के पास नहीं। दैनिक जागरण को अब 150 साल पूरे करने की शुभकामनाएं।

-ऋषिपाल चौहान, चेयरमैन जीवा स्कूल

मेरा दैनिक जागरण से एक पाठक के रूप में 1992 से और एक पारिवारिक सदस्य के रूप में 1995 से संबंध है। मैं 1972 में पानीपत के समालखा क्षेत्र से फरीदाबाद आया और यहां मैंने सेल्स टैक्स, इंकम टैक्स की प्रैक्टिस शुरू की। अपने प्रोफेशन के अलावा मेरी हमेशा यह इच्छा रहती थी कि मैं समाज के प्रत्येक वर्ग से जुड़ा रहूं। इसलिए मैं हमेशा अखबार पढ़कर अपनी जानकारी बढ़ाता रहा हूं। पहले मैं एक अन्य हिन्दी दैनिक पढ़ता था मगर 1992 से दैनिक जागरण का नियमित पाठक हूं। 1995 में जब हमने पहले रावल कान्वेंट स्कूल की स्थापना की तो हम दैनिक जागरण परिवार के सदस्य बन गए। असल में मैं एक लाइन में दैनिक जागरण के बारे में कहूं तो यह वह अखबार है जिसने औद्योगिक नगरी फरीदाबाद को बहुत कुछ दिया है। मेहनतकश लोगों को प्रोत्साहित करने का काम दैनिक जागरण ने किया है। यही कारण है कि मैं हमेशा यह कहता हूं कि दैनिक जागरण ने फरीदाबाद में हर मेहनतकश की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष झोली भरने का काम किया है। मैं यदि दैनिक जागरण की बात करूं तो इसमें न सिर्फ मुझे मातृभाषा का ज्ञान होता है बल्कि देश-विदेश से लेकर राज्य और अपने शहर की सटीक जानकारी मिलती है। दैनिक जागरण ने 75 वर्ष का लंबा सफर पूरा किया है, इसके लिए पूरे जागरण परिवार को मैं रावल ग्रुप की तरफ बधाई देता हूं तथा ईश्वर से कामना करता हूं कि जागरण पूरे समाज को इसी तरह जागृत करता रहे।

मेरे कुछ संस्मरण भी दैनिक जागरण के साथ रहे हैं। जब हमने पहले स्कूल की स्थापना की तो हमारे स्कूल में रिजल्ट बहुत ही शानदार आया। तब अखबारों में अच्छे रिजल्ट को छापने की प्रथा नहीं थी मगर दैनिक जागरण ने हमारे ही नहीं अन्य भी कुछ स्कूलों के अच्छे रिजल्ट बच्चों की फोटो सहित प्रकाशित किए। बस फिर क्या था हमने देखा कि बच्चों ने दैनिक जागरण की प्रतियां लेकर अपने रिश्तेदारों तक भेजी। अब आलम यह है कि बच्चों को हम यह कहते हैं कि दैनिक जागरण में फोटो प्रकाशित करवाना है तो पढ़ाई में मेहनत करो। इतना ही नहीं, दैनिक जागरण छात्रों की खेल व संस्कृति के सभी कार्यक्रमों को प्रमुखता से कवर करता है। एक शिक्षाविद् से अलग यदि मैं इस शहर का नागरिक होने के नाते बात करूं तो दैनिक जागरण पूरे समाज को दिशा देता है। चाहे वह अपने सात सरोकारों से देता हो या फिर अपने सबसे ख्यातिप्राप्त अभियान कार्यक्रम संस्कारशाला से। दैनिक जागरण की संस्कारशाला ने तो बच्चों की ¨जदगी में बड़ा परिवर्तन लाकर खड़ा कर दिया है। एक समाचार पत्र भविष्य की पीढ़ी के लिए संस्कार बांटने का काम करता है तो उसकी प्रशंसा हर समय हमारी जुबान पर रहती है।

-सीबी रावल, चेयरमैन, रावल एजुकेशन ग्रुप।


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