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लॉकडाउन की पालना करते हुए महिलाओं ने की वट वृक्षों की पूजा

शुक्रवार को जेठ अमावस्या पर महिलाओं में आस्था और भक्ति क

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 08:52 AM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 08:52 AM (IST)
लॉकडाउन की पालना करते हुए महिलाओं ने की वट वृक्षों की पूजा
लॉकडाउन की पालना करते हुए महिलाओं ने की वट वृक्षों की पूजा

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : शुक्रवार को जेठ अमावस्या पर महिलाओं में आस्था और भक्ति का उत्साह नजर आया। खास बात यह रही कि कोरोना से बचाव के लिए वट वृक्ष की पूजा के दौरान महिलाओं ने शारीरिक दूरी बनाए रखी। दादरी नगर की गांधी नगर कालोनी में ममता दीक्षित, कमला, कोमल, कौशल्या, पूजा, प्रेम, संजू इत्यादि महिलाओं ने वट वृक्ष के नीचे बारी बारी से पूजन कर पति और पुत्रों की दीर्घायु की कामना की।

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आचार्य गौरव दीक्षित राधे-राधे ने बताया कि सनातन धर्म में जेठ अमावस्या पर वट सावित्री का व्रत और पूजन का विधान है। मान्यता है कि इस दिन वट वृक्ष का विधि विधान से पूजन करने से पति और पुत्रों की दीर्घायु होती है। कहते हैं कि इस दिन यमराज ने वट वृक्ष के नीचे ही सत्यवान के प्राण लिए थे और सावित्री ने उनका पीछा करके सत्यवान के प्राण वापस ले लिए थे। शुक्रवार को जेठ अमावस्या पर सुबह से ही महिलाओं ने व्रत रखा और पकवान बनाकर मौसमी फल, पंखे इत्यादि लेकर वृक्ष के नीचे शारीरिक दूरी की पालना करते हुए पूजन किया। महिलाओं ने वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करके कलावा से जनेऊ चढ़ाया तथा पकवान, मौसमी फल तथा पंखे से पूजन कर पति और पुत्रों की दीर्घायु की कामना की। इसके बाद उन्होंने पकवान, मौसम के फल, पंखे और दक्षिणा इत्यादि निकालकर ब्राह्माण और घर के बुजुर्ग को देकर आशीर्वाद प्राप्त किया।

वट अमावस्या पर महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए न केवल बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना करती हैं, बल्कि धागे से पेड़ की परिक्रमा लगाते हुए अपने पवित्र रिश्ते को मजबूत बनाने का काम करती हैं। वट वृक्ष की पूजा हमेशा महिलाएं समूह में करती रही हैं, लेकिन इस बार कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते महिलाओं ने अपने परंपरा रिवाज में बदलाव किया है। महिलाओं ने शारीरिक दूरी बनाकर वट वृक्ष की पूजा की। वहीं कई महिलाओं ने घर पर ही पूजा अर्चना कर व्रत रखा।


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