Women empowerment: कर्ज से दबा पति तो उर्मिला ने यूं खींच दी परिवार की गाड़ी
Women empowerment परिवार कर्ज में डूब गया तो महिला ने पति के पथ का अनुसरण किया और खुद भी आटो रिक्शा चलाकर परिवार की गाड़ी पटरी पर ले आईं।
भिवानी [सुरेश मेहरा]। Women empowerment: उर्मिला। अपने नाम को सार्थक कर रही हैं। परिवार कर्ज में डूब गया तो पति के पथ का अनुसरण किया और खुद भी आटो रिक्शा चलाकर परिवार की गाड़ी पटरी पर ले आईं। भगवान लक्ष्मण की पत्नी देवी उर्मिला ने भी तो यही किया था। पति वन गए। बिस्तर पर चौदह साल सोए नहीं। देवी उर्मिला भी नहीं सोईं। और जिस तरह देवी उर्मिला अपने सतीत्व के बल पर लक्ष्मण को मौत मुंह से निकाल लाईं। भिवानी के देवी उर्मिला ने भी कुछ वैसा ही किया और पति को संकट से उबार लिया।
सुखबीर और उर्मिला गांव बामला के रहने वाले हैं। भिवानी शहर में ऑटो रिक्शा चलाने वाले सुखबीर का परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं था, लेकिन सुखी था। तीन साल पहले पत्नी उर्मिला बीमार पड़ गईं। सुखबीर ने कर्ज लेकर इलाज कराया। वह ठीक हुईं तो सुखबीर बीमार पड़ गए। उनके इलाज के लिए भी कर्ज लेना पड़ा। दोनों ठीक हो गए।
सुखबीर ने फिर से ऑटो चलाना शुरू किया। जिंदगी की गाड़ी चलने लगी, लेकिन सिर पर साढ़े तीन लाख रुपये का कर्ज चढ़ा हुआ था। इसका रास्ता निकाला उर्मिला ने पति से कहा कि वह उन्हें (उर्मिला को) ऑटो रिक्शा चलाना सिखाएं। सुखबीर थोड़ा हिचकिचाए, लेकिन पत्नी का आत्मविश्वास देख चेहरे पर रौनक आ गई। उर्मिला को ऑटो रिक्शा चलाना सिखाया। उधर, सड़कों पर सुखबीर व उर्मिला के ऑटो रिक्शे दौडऩे शुरू हुए, इधर परिवार की गाड़ी पटरी पर आकर दौडऩे लगी। दोनों बेटे स्कूल में पढ़ रहे हैं। कर्ज की दीवार ढह रही है। जो बची है, जल्द ही वह भी ढह जाएगी।
सुखबीर के सिर की नस ब्लॉक हो गई थी
सुखबीर बताते हैं कि तीन साल पहले पत्नी उर्मिला बीमार हुईं। वह ठीक हुईं तो मेरी तबीयत कराब हो गई। पता चला कि मेरे सिर की एक नस ब्लॉक हो गई है। हिसार से दिल्ली तक इलाज चला। हम दोनो ठीक तो हो गए, लेकिन कर्ज उतारने की चिंता थी। अब उर्मिला की कमाई से रोज 400-500 रुपये की अतिरिक्त आय हो रही है और कर्ज उतरने लगा है।
सुबह घर के काम कर निकल पड़ती हैं
उर्मिला कहती हैं कि सुबह बच्चों के स्कूल और उनके खाने-पीने के लिए नाश्ता रोटी आदि बनाने के अलावा घर का रोजमर्रा का कार्य कर वह ई रिक्शा लेकर घर से निकल लेती हैं। सुबह से शाम पांच-छह बजे तक वह शहर में आटो चलाती हैं। इस कार्य में पति सहयोग करते हैं। वह कहती हैं कि हम फुटपाथ एवं रेहड़ी यूनियन के प्रधान रामनिवास शर्मा का एहसान मानते हैं। उन्होंने मुझे और मेरे पति को इस कार्य के लिए प्रेरित किया। ई रिक्शा दिलाया।
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