देव उठनी एकादशी पर एक-दूजे के होंगे सैकड़ों जोड़े
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी: देव उठनी एकादशी के मौके पर सैकड़ों जोड़े एक-दूजे के
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी: देव उठनी एकादशी के मौके पर सैकड़ों जोड़े एक-दूजे के हो जाएंगे। मंदिरों व अन्य स्थानों पर तुलसी विवाह की भी प्रथा चली आ रही है। माना जाता है कि देव उठनी एकादशी के दिन देव उठते हैं और उस दिन से ही मंगल कार्य शुरू होंगे। जिसको लेकर बाजारों में विवाह की सामग्री की खरीदारी के लिए काफी संख्या में लोग आ रहे हैं। गौरतलब है कि कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देव उठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी जैसे नामों से भी लोग जानते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने की ¨नद्रा के बाद देव उठनी एकादशी के दिन ही जागते हैं। जिसके बाद से सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य फिर से आरंभ हो जाते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी 19 नवंबर को है। दादरी के गांव मकड़ाना धाम श्री श्याम मन्दिर में देवताओं का आह्वान संत-महात्माओं द्वारा रहेगा। यहां तुलसी का विवाह यज्ञ रहेगा। मकड़ाना मंदिर धाम के महंत चरणदास ने कहा कि यह दिन चार माह के बाद देवउठनी एकादश का आता है चार माह तक देवी देवता शयन करते हैं। इन दिनों मंगल कार्य के लिए कोई शुभ लगन नहीं मिलता है। जब देवता उठते है तब से लोग विवाह उत्सव आदि के मंगल कार्य करते हैं। कहा कि देव उठानी एकादश को ही भगवान शालिग्राम और तुलसी का भी विवाह होता है। जिसकी वे तैयारियां कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी दिन जिले में हजारों विवाह उत्सव है राष्ट्रीय युवा पुरस्कार अवार्डी अशोक भारद्वाज ने इस शुभ लगन के लिए बताया कि इस उत्सव को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। कहा कि इस दिन उनकी संस्था 31 वर और वधु को तुलसी व रिफ्लेक्टर वितरण कर स्वच्छ पर्यावरण और सड़क सुरक्षा का संदेश देंगे। वही उन्होंने अपील भी की है कि इस दिन सड़कों पर वाहनों की अधिक भाग दौड़ रहेगी। इसलिए वाहन चालक सड़क नियमों का पालन करें और गाड़ी की स्पीड कम रखे तनाव व शराब के नशे में गाड़ी न चलाए और नींद में गाड़ी न चलाए। खुद की सुरक्षा में ही दूसरों की भी सुरक्षा है। उन्होंने पिछले वर्ष भी देवउठनी एकादश व अक्षय तृतीया के शुभ लगन पर 51 वर और वधुओं को रिफ्लेक्टर से सम्मान देकर सड़क सुरक्षा का संदेश दिया था।