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प्रदेश के सीमांत गांव ढाणी श्यामा में सूख गए नलकूप

एमके शर्मा लोहारू नहरी पानी के मामले पर सरकारों ने लोहारू के सीमांत गांवों की सुध नह

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 04:23 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 04:23 AM (IST)
प्रदेश के सीमांत गांव ढाणी श्यामा में सूख गए नलकूप
प्रदेश के सीमांत गांव ढाणी श्यामा में सूख गए नलकूप

एमके शर्मा, लोहारू:

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नहरी पानी के मामले पर सरकारों ने लोहारू के सीमांत गांवों की सुध नहीं ली। इन दर्जनभर गांवों को सरकारों ने नहरी पानी से नहीं जोड़ा। अब अंत में आखिर वही हुआ जिसका डर था। अकेले ढाणी श्यामा गांव में जनस्वास्थ्य विभाग के एक पुराने नलकूप में पानी खत्म हो गया। दूसरा नलकूप इसी वर्ष खोदा गया तो उसमें खारा पानी आने लगा। लोग आसपास के खेतों से ट्रैक्टर टैंकर या सिर पर पेयजल ढोने लगे हैं। एक किसान ने खेती के लिए अपने खेत में छह बार बोरिग किए, लेकिन कहीं पानी नहीं मिला। सातवीं बार के बोरिग में पानी नसीब हो पाया है।

गांव ढाणी श्यामा, ढाणी रहिमपुर गांवों के बाद राजस्थान शुरू हो जाता है। ढाणी श्यामा गांव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयं सेवकों का गांव माना जाता है। रामानंद, दयाराम, मनोहरलाल, सिंहराम, सज्जन, मनोज, पप्पू, मुकेश आदि गांव वासियों बताया कि ढाणी श्यामा गांव में पेजयल के लिए जनस्वास्थ्य विभाग का एकमात्र पुराना नलकूप था। यह 400 फीट तक गहरा था, लेकिन अब यह पूरी तरह सूख गया। विभाग ने गत दिनों दूसरा नलकूप खोदा। यह भी 400 फीट तक किया गया। लेकिन इसमें खारा पानी आ गया। अब गांव में पेयजल की कोई सुविधा नहीं है। लोग ट्रैक्टर टैंकों से या सिर पर नजदीकी खेतों के कुंओं से पानी ढो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पानी के संकट की चिता वे पिछले बीस सालों से करते आ रहे हैं। इस बारे में उन्होंने पूर्ववर्ती इनेलो, कांग्रेस और भाजपा सभी सरकारों के प्रतिनिधियों से बहुत मिन्नतें की। ज्ञापन सौंपे। बैठकें करके मीडिया के माध्यम से सरकार तक यह चिता पहुंचाई। लेकिन उनकी चिता की ओर किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। अब तो खेतों के नलकूप भी सूखने लगे हैं। किसान दयाराम ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में छह बार बोरिग किए, लेकिन कहीं भी पानी नहीं मिला। अब सातवीं बार बोरिग करने पर पानी नजर आया है।

गांववासियों ने बताया कि वर्तमान में उनके विधायक खुद कृषि मंत्री हैं। मंत्री बनने पर गांव में उनके अभिनंदन समारोह के दौरान सबसे पहले उनकी यही मांग थी कि गांव को नहरी पानी से जोड़ा जाए ताकि भूमिगत जल स्तर ऊपर उठने लगे और पेयजल भी मिल जाए। मंत्री बने आज पूरा एक साल हो गया, लेकिन अब तक उनके गांव में नहरी पानी की कोई उध-सुध नहीं है। एक बार लोकनिर्माण विश्रामगृह में उनके सामने यह बात रखी थी तो उन्होंने कहा था कि नहर के लिए जमीन दिला दो, नहर सरकार बनवा देगी। गांववासियों ने बताया कि सरकार यदि चाहे तो उनके गांव तक जा रहे राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ-साथ नहरी पानी का बड़ा नाला निकाल जा सकता है। उससे भी नहरी पानी उनके गांव तथा लोहारू की गोशाला व सौ साल पुराने वीरान पड़े किरयाण तालाब तक पहुंच सकता है। उन्होंने मांग की कि सड़क के साथ-साथ मोटे भूमिगत नाले डलवाकर उनके गांवों में नहरी पानी भिजवाया जाए। बॉक्स :

यह बोले कृषि मंत्री जेपी दलाल

इधर, कृषि मंत्री जेपी दलाल ने इस बारे में बताया कि वे इस मामले पर पूरी तरह सतर्क हैं। जल्द ही सीमावर्ती गांवों में नहरी पानी पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। इसके बाद भूमिगत जल स्तर ऊंचा उठेगा और पेयजल व सिचाई के लिए पानी का संकट खत्म हो जाएगा।


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