कोरोना के कारण मंडी में टमाटर की बिक्री बंद, खेतों में बर्बाद हो रही फसल
बाढड़ा उपमंडल के कादमा क्षेत्र में टमाटर का रिकार्ड उत्पादन होन
संवाद सहयोगी, बाढड़ा : बाढड़ा उपमंडल के कादमा क्षेत्र में टमाटर का रिकार्ड उत्पादन होने के बावजूद उत्पादकों को लागत भी नहीं मिल पा रही। कोरोना महामारी के कारण जिला प्रशासन ने मंडी में टमाटर उतारने से मना कर दिया है। जिससे क्षेत्र के दर्जन गांवों के टमाटर उत्पादकों को अब अपने टमाटर वापस खेतों में ही रखने पड़ रहे हैं। जिससे उसको मुनाफा तो दूर लागत भाव भी नहीं मिल पा रहा। प्रदेश सरकार की भावांतर योजना भी झूठी साबित हो रही है।
कादमा क्षेत्र के लाल मिट्टी वाले गांव ऊण, नौरंगाबास, माईकलां, माईखुर्द, दगड़ौली, रूदड़ौल, बडराई इत्यादि दर्जनों गांवों में महंगे खाद बीज इस्तेमाल कर टमाटर की खेती की गई। रिकार्ड उत्पादन हुआ और किसानों को अप्रैल के दूसरे सप्ताह में खुदरा तौर पर मंडी में टमाटर पहुंचाने पर खूब भाव भी मिलना शुरू हुआ। लेकिन बाद में कोरोना महामारी के कारण जिला प्रशासन ने किसानों को मंडी का प्रयोग न करने का आदेश दिया तो सब्जी उत्पादकों की नींद उड़ गई।
20 रुपये किलो का टमाटर बिक रहा 3 रुपये में
बताया जाता है कि एक सप्ताह पहले तक बीस रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाला टमाटर मंडी बंद होने के बाद अब गांव गांव में मात्र तीन से चार रुपये में बिक रहा है। ओपन मार्केट में टमाटर बिक्री बंद होने से सब्जी उत्पादकों का गांव गांव टमाटर बेचना मजबूरी बन गया है। कादमा निवासी सतीश कुमार, हरिकिशन, महेंद्र सिंह इत्यादि ने बताया कि कोरोना ने उनके सपनों को पूरी तरह तोड़ दिया है। भाव भावांतर योजना का मिले फायदा
युवा समाजसेवी अशोक कादमा ने कहा कि क्षेत्र में बड़ी मात्रा में टमाटर पैदा होता है। देश की निजी कंपनियां संभावनाएं तलाश रही हैं। लेकिन उनके प्रोजेक्ट आरंभ होने तक प्रदेश सरकार को अपनी भाव भावांतर योजना के तहत टमाटर उत्पादक किसानों का टमाटर खरीद कर उनको उचित भाव मुहैया करवाना चाहिए। कई किसानों ने कहा कि जिला प्रशासन ने जल्द ही टमाटर उत्पादन में आने वाली लागत व किसान की मेहनत के आधार पर भाव नहीं दिए तो वे जिला सचिवालय पहुंच कर रोष प्रदर्शन करेंगे।