जिन्हें इतिहास और भूगोल की पृष्ठभूमि पता नहीं, वे भी कर रहे चुनावी दावे
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : जींद विधानसभा उपचुनाव रूपी महाभारत की सीमाएं लगातार बढ़कर
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :
जींद विधानसभा उपचुनाव रूपी महाभारत की सीमाएं लगातार बढ़कर अब दादरी शहर को स्पर्श करने लगी है। शहर के छोटे बड़े सियासतदानों, उनके परम भगत अनुयायियों से लेकर वे मासूम लोग जिनका राजनीतिक दाव पेंचों से कभी दूर का वास्ता तक नहीं रहा, इन दिनों उनमें भी चुनावी दिलचस्पियां देखते ही बननी है। विशेषकर पिछले एक सप्ताह से लगातार गिरते पारे के बावजूद रोजाना उपचुनावी तापमान बढ़ता जा रहा है। दादरी शहर के कई सियासी सुरमा बगैर बुलावे के पहले ही जींद के लिए प्रस्थान कर चुके हैं तो काफी अभी निमंत्रण का इंतजार कर रहे हैं। तीन दिनों से तो बड़ी हैरानी हो रही जींद रण मैदान से दादरी शहर में अल्प विश्राम के लिए लौटे अपनी विजय, प्रतिद्वंदियों की पराजय के सुनिश्चित दावे कर रहे हैं। हलांकि इसी प्रकार के बयानात उन्होंने पिछले दिनों हुए मेयर चुनाव के दौरान भी दिये थे। यह दीगर बात है बाद में उन्हें सफाई देने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इसके साथ ही शहर के ऐसे युवा महापुरुष जिन्हें कायदे से जींद विधानसभा क्षेत्र की भौगोलिक, राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, जनसंख्या के स्वरूप, जातीय समीकरणों का ¨कचित मात्र भी ज्ञान नहीं है उन्होंने सोशल मीडिया की तोपों के मुख खोल दिये हैं। वे फर्जी सट्टा बाजार सजाने, जय पराजय के ख्याली पुलावों को आंकड़ों के साथ दर्शाने वाले रातों रात विशेषज्ञ बन गए हैं। उनकी बेवजह कोसों दूर की इस शहर में की जा रही बयानबाजी में अपने सपनों के प्रत्याशियों के पक्ष में एक तरफा लहर होने, अन्य की जमानतें जब्त होने के झूठी कश्मों की तरह पुख्ता दावे किए जा रहे हैं। उन्हें लगता है जींद फतेह के बाद राजकाज की बागडोर उन्हीं के हाथों में होगी। यहां यह भी कहा जा सकता है हालत बड़ी अजीब हो जाती है जब स्थिति, बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले..जैसी हो जाती है। खैर अब यही कहा जा सकता है, खुदा खैर करें।