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कम हो रही है जमीन की उर्वरा शक्ति, कैसे दोगुनी होगी किसानों की आय

मदन श्योराण ढिगावा मंडी जिले में जमीन उर्वरा शक्ति घटती जा रही है जिससे किसानों का नुक

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 04:27 AM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 04:27 AM (IST)
कम हो रही है जमीन की उर्वरा शक्ति, कैसे दोगुनी होगी किसानों की आय
कम हो रही है जमीन की उर्वरा शक्ति, कैसे दोगुनी होगी किसानों की आय

मदन श्योराण, ढिगावा मंडी: जिले में जमीन उर्वरा शक्ति घटती जा रही है, जिससे किसानों का नुकसान हो रहा है। ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने का सपना काफी दूर होता दिखाई पड़ रहा है। लोहारू क्षेत्र की जमीन की अब कृषि अधिकारियों ने जांच की और खेती की जमीन में घटती कार्बनिक पदार्थ की मात्रा चिता का विषय बन गई है। अगर गिरावट लगातार ऐसे ही जारी रही तो मिट्टी खराब हो जाएगी और फसल उत्पादन पर भी इसका असर पड़ेगा। ऐसे में जब उपजाऊ जमीन ही नहीं रहेगी तो किसानों की आय दोगुनी कैसे होगी।

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कृषि विभाग के एसडीओ ईश्वर सिंह ने बताया कि कृषि भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा 0.5 फीसद या उससे अधिक होनी चाहिए। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा घटने से इसकी वाटर होल्डिंग कैपेसिटी कम हो जाती है और इसमे जड़ों के फैलाव की क्षमता भी घट जाती है। जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने लगती है, जिसके कारण फसलों को भी नुकसान होता है। फसल कमजोर और पीली पड़ जाती है। दाना सिकुड़कर हल्का हो जाता है और जड़ कमजोर होने से पौधे झुकने लगते हैं। खंड कृषि अधिकारी रणसिंह ने बताया कि कृषि विभाग ने लोहारू उपमंडल के करीब 500 खेतों की जांच कराई है। रासायनिक खाद के बेतहाशा उपयोग का नतीजा

फसल की पैदावार बढ़ाने खेतों में बेतहाशा रासायनिक खाद का उपयोग किया जा रहा है। एक-दो एकड़ में 50 किलो रासायनिक खाद लगता है। इसके उपयोग से फसल 15 दिन में बढ़ने लगती है। सामान्य फसल से यह बड़ी और वजनी होती है। तीन से छह महीने में फसल पक कर तैयार हो जाती है। मशीनों का चलन बढ़ने, मवेशियों की संख्या कम होने से जैविक खाद की कमी हुई है। एक एकड़ में तीन से चार ट्राली जैविक खाद लगती है। जैविक खाद जमीन में उर्वरा शक्ति बनाए रखने के साथ बढ़ाती भी है। कीटों का प्रकोप कम होता है। जमीन में नमी बनी रहती है। सूखे का असर कम होता है। जीवांश पदार्थ की मात्रा बढ़ती है। यह खाद अधिक टिकाऊ होती है। इससे उलटे रासायनिक खाद जमीन से सभी पोषक तत्व एक बार में सोख लेता है। खतरे में मुख्य पोषक तत्व

जांच में मुख्य पोषक तत्व माने जाने वाले एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम) में फॉस्फोरस और पोटेशियम की भी क्षेत्र की भूमि में कमी मिली है। यह है वजह

रासायनिक खाद के अत्याधिक उपयोग से जमीन की पोषकता में तेजी से कमी आई है। इसके लिए किसान भी जिम्मेदार है। जो बिना मिट्टी की जांच कराए अधिक पैदावार के लिए मानक से अधिक मात्रा में यूरिया, डीएपी और अन्य रासायनिक खाद का प्रयोग कर रहे हैं। कमजोर हो रही उर्वरा शक्ति :-

रासायनिक खाद के उपयोग से कृषि भूमि में सूक्ष्म तत्वों में कमी आ रही है। आर्गेनिक कार्बन घटने से भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हुई है। किसानों को गोबर और केंचुआ खाद के उपयोग के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए योजना भी शुरू की गई है। मुख्य तत्व : मिट्टी में मौजूद नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश को मुख्य तत्व माना जाता है।

सूक्ष्म तत्व : मिट्टी में मौजूद घुलनशील लवण, आर्गेनिक कार्बन, जस्ता, जिक, लोहा, तांबा सूक्ष्म तत्व माना गया है।


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