दो वर्ष पूर्व पूरा हुआ था लाखों लोगों का सपना, प्रदेश के नक्शे पर उभरा था 22वां जिला दादरी
सुरेश गर्ग, चरखी दादरी : 18 सितम्बर का दिन दादरी जिले के लाखों लोगों के लिए न केवल खास बल्कि
सुरेश गर्ग, चरखी दादरी : 18 सितम्बर का दिन दादरी जिले के लाखों लोगों के लिए न केवल खास बल्कि यह एक ऐतिहासिक दिन भी है। इसी दिन दो वर्ष पूर्व यहां के लोगों की पिछले 30 वर्षों से उठाई जा रही जिले की मांग पूरी हुई थी। जन भावनाओं से जुड़ी यह मांग संवेदनशील स्तर पर पहुंच चुकी थी। देश की आजादी से पूर्व तत्कालीन जींद रियासत के प्रमुख जिला मुख्यालय रहे दादरी को जिला का दर्जा देने की मांग को लेकर यहां वर्षों तक मुहिम चलती रही। पिछले कई लोकसभा व विधानसभा चुनाव में तो यह प्रमुख चुनावी मुद्दा बना रहा। हालात यह बन गए थे कि सभी सियासी दलों के प्रत्याशी चुनाव में जिले का दर्जा देने का वायदा कर जनता के बीच जाते रहे है लेकिन सत्ता मिलने पर उसे भुला देना भी नियति बनती रही। कुछ सियासी दलों ने तो जिले की मांग पूरी करने की बात को अपने घोषणा पत्रों में भी शामिल कर लिया था।
18 सितम्बर 2016 को जब दादरी की अनाज मंडी में आयोजित दादरी विकास रैली में प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने चरखी दादरी को प्रदेश के 22वें जिले का दर्जा देने की घोषणा की तो वहां उपस्थित हजारों लोगों में जश्न का माहौल बन गया था। ऐसा दिखाई देने लग गया था मानो होली, दिवाली का पर्व एक साथ ही मनाया गया हो। घोषणा होने के साथ ही हजारों लोग खड़े होकर काफी देर तक तालियां बजाते रहे और विजय उद्घोष करते रहे। लोगों को लगा कि उनका वर्षों पुराना सपना न केवल पूरा हुआ है बल्कि उनके लिए यह दिवस किसी जश्न ए आजादी से कम नहीं है।
रियासत का प्रमुख जिला था दादरी
देश की स्वतंत्रता से पूर्व तत्कालीन जींद रियासत में चरखी दादरी प्रमुख जिला मुख्यालय था। आजादी के बाद पेप्सू, संयुक्त पंजाब, एक नवंबर 1966 को हरियाणा के निर्माण के बाद तक प्रदेश में सात जिले थे। उसके बाद 14 नये जिले बने। हर मामले में योग्य होने के बाद भी दादरी को जिले का दर्जा नहीं दिया गया। सियासी कारणों से नये जिले बनते गए लेकिन हर बार दादरी की उपेक्षा की जाती रही। यह पीड़ा वक्त के साथ बढ़ती गई तथा पिछले 30 वर्षों में तो यह मांग यहां बड़े चुनावी मुद्दे में तबदील हो चुकी थी। भाजपा ने भी अपने घोषणा पत्र में दादरी को जिला व बाढड़ा को उपमंडल का दर्जा देने का वायदा किया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दो वर्ष पहले 18 सितम्बर को इसे मंच से पूरा करने की घोषणा कर यहां एक नए दौर की शुरुआत की। मंत्री धनखड़ ने निभाई बड़ी भूमिका
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के अपने बलबूते पर पहली बार प्रदेश में सत्ता में आने तथा दादरी नगर के मूल निवासी ओमप्रकाश धनखड़ के बादली से विधायक चुने जाने, उनके मंत्री पद पर आसीन होने के बाद भी दादरी को जिले का दर्जा मिलने के कयास जाने लगे थे। तीन वर्ष पूर्व प्रदेश में नये जिले, उपमंडल, ब्लाक बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया। इसका चेयरमैन मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ को बनाया गया। धनखड़ ने दादरी को जिला बनाने में न केवल अहम भूमिका निभाई बल्कि मुख्यमंत्री को अपनी पार्टी व संगठन के वायदे की याद भी दिलाई। इसी प्रकार बाढड़ा के विधायक सुख¨वद्र मांढ़ी ने बाढड़ा में 6 अप्रैल 2015 को आयोजित रैली में जिले के साथ साथ बाढड़ा को उपमंडल का दर्जा देने की मांग रखी। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री धनखड़ का यह क्षेत्र है, वो तुम्हारे अपने हैं, शीघ्र ही सकारात्मक पहल करेंगे। आने वाली पीढि़यों को फायदा
प्रदेश के मानचित्र में दादरी के 22वें जिले के रूप में उभरने का फायदा न केवल वर्तमान समय में आम लोगों को मिलेगा बल्कि आने वाली पीढि़यां भी इससे लाभान्वित होंगी। जिले के गठन के बाद स्वाभाविक तौर पर व्यापार, उद्योगों, कारोबार, बाजारों, मंडियों को बढ़ावा मिलेगा, सरकारी, गैर सरकारी क्षेत्र में हजारों नये रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। जिले के लिए चलती रही है मुहिम
दादरी को जिले का दर्जा देने की मांग को लेकर वर्षों तक जिन लोगों ने प्रयास किए उनमें दादरी के पूर्व विधायक जगजीत ¨सह सांगवान, पूर्व विधायक मेजर नृपेंद्र सांगवान, पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान, रण¨सह मान के नाम उल्लेखनीय हैं। उन्होंने अपने अपने स्तर पर जिले के लिए लगातार प्रयास किए। सतपाल सांगवान ने जिले के लिए जरूरी मूलभूत सुविधाएं, आधारभूत ढांचा खड़ा करने की दिशा में उल्लेखनीय विकास कार्य करवाए। इसी प्रकार समाज को जागरूक करने, इसे जन मुहिम बनाने में प्रवीन सांगवान असावरी, पूर्व बैंक प्रबंधक बलवान साहु, अनिल साहु इत्यादि का योगदान भी जिले के इतिहास के साथ ही लिखा जाएगा। जागरण ने भी चलाई मुहिम
दादरी को जिले का दर्जा देने की मांग को लेकर इससे जुड़े तमाम तथ्यों को जनता के बीच लाने, जागरूकता अभियान चलाने व चुनावी मुद्दा बनाने में दैनिक जागरण ने भी लगातार 25 वर्षों तक सकारात्मक अभियान चलाया। हजारों लोगों को परिचर्चाओं में शामिल किया, विभिन्न सामाजिक, व्यापारिक, धार्मिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक संगठनों, ट्रेड यूनियनों के बीच मुददे को जीवंत रखा। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 18 सितम्बर 2016 की मुख्यमंत्री की रैली में जिले को लेकर जागरण के प्रयासों की खुले मंच से सराहना की गई।