दुख ही असली मित्र है, क्योंकि दुख परमात्मा को भूलने नहीं देता-कंवर हुजूर
सुख दुख केवल समय का फेर है। दोनों में समभाव रखो। सुख के समय परमात्मा का शुकराना करो और दुख में विनती करो। वैसे तो दुख की घड़ी सुख से कहीं अच्छी हैं क्योंकि दुख की घड़ी में हम परमात्मा को याद तो करते हैं।
जागरण संवाददाता, भिवानी: सुख दुख केवल समय का फेर है। दोनों में समभाव रखो। सुख के समय परमात्मा का शुकराना करो और दुख में विनती करो। वैसे तो दुख की घड़ी सुख से कहीं अच्छी हैं, क्योंकि दुख की घड़ी में हम परमात्मा को याद तो करते हैं। सभी संतों ने दुख को सराहा है, क्योंकि ये दुख ही है जो परमात्मा को भूलने नहीं देता। सुख में तो इंसान गाफिल हो कर परमात्मा को भूल जाता है। यह सत्संग वचन सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने दिनोद धाम में स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए।
गुरु महाराज 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर दिनोद में होने वाले देश के पहले वर्चुअल सत्संग की तैयारियों के लिए सेवादारों को सत्संग दे रहे रहे थे। स्वामी महाराज द्वारा रचित सार वचन का हवाला देते हुए कहा कि जब तक इंसान का मन दुखी है। शरीर में तकलीफ है, शारीरिक और पारिवारिक जीवन में सुख नही तब तक उसका हृदय भक्ति में नही रमता।
उन्होंने तोता, हाथी, मछली और बन्दर का उद्धरण देते कहा कि इंसान कई तरीके से काल के खूंटे से बंधा हुआ है। जैसे बहेलिए के नलिनी में तोता बंध जाता है वैसे ही माया के फंदे से ये इंसान बंधा हुआ है। बंदर की साख देते हुए गुरु महाराज ने कहा कि जैसे बंदर संकरे मुंह के बर्तन से खाने की चीज निकालते वक्त अपनी मुट्ठी बंद कर लेता है और मुट्ठी बंद होने के कारण अपना हाथ बाहर नहीं निकाल पाता, जिसके कारण शिकारी उसे पकड़ लेता है। उसी प्रकार भांति-भांति के लालच लोभ की बंद मुट्ठी के कारण इंसान भी काल का शिकार बन जाता है। इसी प्रकार मछली आटे के स्वाद में कांटे में उलझती है और हाथी काम वासना में अपने बल को हार जाता है। इंसान को इनसे सबक लेकर अपने चित में संतोष धारण करे तो जीवन को दुश्वारियों से बचा सकता है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इंसान बार-बार चेतावनी के बावजूद संभलता नहीं है। अगर जीव सतगुरु की पूर्ण शरणाई आ जाए तो सतगुरु दयाल अपनी कृपा से मनुष्य को धोखे के जगत जाल से छुटकारा दिला सकते हैं।
हुजूर कंवर साहेब ने कहा कि यदि ये नर देह आपको मिली है तो आप अपना प्रमुख काज संवारों। भूल भ्रम को त्याग कर परमात्मा को पाने के मार्ग पर चलो। हुजूर महाराज ने कहा कि हम अपने छोटे से मतलब के लिए कभी हाकिम के आगे, कभी धनवान के आगे तो कभी बलवान के आगे अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं, लेकिन जिस गुरु से सब बने उससे पीठ फेरते हैं। जब एक दिन काल आपके सिराहने आ कर खड़ा हो जाएगा। तब ना हकीम काम आएगा ना हाकिम काम आएगा। तब पछताना पड़ेगा कि जो धन तूने औरों को दुखी करके जोड़ा था वो कितना गलत था।