152 डी कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित जमीन पर कब्जा लेने का विरोध, ग्रामीणों ने बैरंग लौटाया प्रशासनिक अमला
फोटो 18 सीडीआर 37 जेपीजी में है ----बाजार भाव के अनुसार अधिगृहित की गई भूमि के दाम म
फोटो : 18 सीडीआर 37 जेपीजी में है
----बाजार भाव के अनुसार अधिगृहित की गई भूमि के दाम मांग रहे हैं ग्रामीण -ग्रामीणों ने की जमकर नारेबाजी, कब्जा कार्रवाई को रोका जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : दादरी जिले के गांव खातीवास में 152-डी कॉरिडोर के लिए अधिगृहित जमीन पर कब्जा लेने के लिए पहुंचे प्रशासनिक अमले को ग्रामीणों के विरोध के चलते बैरंग लौटना पड़ा। इस कब्जा कार्रवाई के दौरान उपस्थित ग्रामीणों व किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर अपना रोष जताया। किसानों ने अपनी कमेटी की तरफ से कब्जा लेने से पहले उपायुक्त से मुलाकात करने की बात रखी। जिसके बाद आगामी कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया। मौके पर उपस्थित डयूटी मजिस्ट्रेट एवं तहसीलदार अजय कुमार ने उपायुक्त से फोन पर संपर्क किया। जिसके बाद उपायुक्त राजेश जोगपाल ने किसानों से मुलाकात करने का आश्वासन दिया।
सोमवार को डयूटी मजिस्ट्रेट एवं तहसीलदार अजय कुमार की अगुवाई में 152 डी कॉरिडोर के लिए अधिग्रहण की गई जमीन का कब्जा लेने के लिए एनएचएआइ कर्मचारियों व पुलिसबल के साथ गांव खातीवास पहुंचे। यहां पहुंचने की भनक लगते दर्जनों ग्रामीण व किसान मौके पर एकत्रित हो गए। उन्होंने किसी भी सूरत में जमीन का कब्जा न देने की बात कही। जिसके बाद आक्रोशित किसानों ने सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
मौके पर मौजूद किसानों ने बताया कि सरकार व एनएचएआइ की तरफ से उनकी अधिग्रहित की गई भूमि का मार्केट वैल्यू के हिसाब से मुआवजा राशि नहीं दी जा रही। इस कारण वे काफी परेशान है। उचित मुआवजा राशि दिलाने की मांग को लेकर वे कई बार संबंधित अधिकारियों व प्रशासन को अवगत भी करा चुके हैं। लेकिन हर बार उन्हें महज आश्वासन देकर टरका दिया जाता है। किसानों ने कहा कि जब तक उन्हें अधिग्रहित भूमि का मार्केट वेल्यू के हिसाब से मुआवजा राशि नहीं दी जाएगी। वे लगातार विरोध करते रहेंगे। गांव पहुंचे ड्यूटी मजिस्ट्रेट तहसीलदार अजय कुमार ने किसानों से बात की। जिसके बाद किसानों ने कहा कि हमारी कमेटी डीसी से मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई करने देगी।
इसे लेकर ड्यूटी मजिस्ट्रेट तहसीलदार अजय कुमार ने डीसी राजेश जोगपाल से बात की। जिस पर डीसी ने किसानों से मिलने का समय देने का आश्वासन दिया। ग्रामीणों व किसानों के विरोध को देखते हुए प्रशासनिक अमला बिना कब्जा लिए ही बैरंग लौट गया।