एक साथ मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा है बड़सी की एकता की पहचान
करीब 15 हजार से अधिक की आबादी को अपने आंचल में समेटे हुए
राजेश कादियान, बवानीखेड़ा : करीब 15 हजार से अधिक की आबादी को अपने आंचल में समेटे हुए गांव बड़सी को आपसी भाईचारे का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि इस गांव मे अधिकतर बिरादरी निवास करती हैं और सभी आपसी भाईचारे व प्रेम के साथ रहती हैं। गांव की खास बात यह है कि पंजाबी चौक के साथ बनी चार दीवारी में मंदिर, मस्जिद व गुरुद्वारा एक साथ बने हुए हैं, जो कि आपसी भाईचारे की मिसाल पेश कर रहे हैं। ग्रामीण उमेद कपूरिया, पूर्व सरपंच जोगीराम, प्रताप गुर्जर, सुनील कुमार के अनुसार 1544 में राजस्थान से आए दलाल व भुमला गौत्र के लोगों ने गांव बड़सी को बसाया था। इस गांव के नाम बड़सी पड़ने के पीछे भी ग्रामीणों का कहना है कि गांव के चारों तरफ बड़े-बड़े बड़ के पेड़ है, इस कारण इस गांव का नाम बड़सी पड़ा। गांव का इतिहास साथ लगते कस्बा हांसी से भी जुड़ा हुआ है। जो गांव से आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित है। हांसी में चार मुख्य गेट है, जिनमें एक बड़सी गेट भी है। जो गांव बड़सी की पहचान हांसी कस्बा से कराता है। गांव बड़सी का एक किस्सा भी लोगों की जुबां पर खूब सुनने को मिलता है, जब 1957 में डाकुओं ने गांव के धन्ना सेठ, खेताराम के यहां डकैती की थी, जिसमें गांव के युवा रीछपाल पुत्र पन्नाराम जाट डाकुओं से भिड़ गए, तब गांव के अन्य जाबाजों की मदद से आठ डाकुओं को मार डाला गया। गांव के सार्वजनिक ढांचे पर एक नजर
गांव की आबादी अधिक होने के कारण दो पंचायतों का गठन किया हुआ है। एक पंचायत को बड़सी जाटान व दूसरी पंचायत को बड़सी गुजरान के नाम से जाना जाता है। बड़सी गुजरान में करीब 2900 मतदाता है तो जाटान में करीब 3500 मतदाता है। इस गांव की जनसंख्या करीब 15 हजार है। गांव में दो बिजली पॉवर हाऊस है, जिनकी क्षमता क्रमश: 132 व 33 केवी है। गांव बड़सी से आस-पास के 50 के लगभग गांवों को ये पॉवर हाउस बिजली की सप्लाई उपलब्ध करवाते है। गांव में दो प्राइमरी स्कूलों के अलावा एक 12वीं कक्षा तक का विद्यालय है। जिसका निर्माण ग्रामीणों ने चंदा इक्ट्ठा कर करवाया था। इसके अलावा गांव में 12 आंगनवाड़ी केन्द्र, दो जलघर, दो बू¨स्टग स्टेशन, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, एक पशु अस्पताल जो पंचायत की जमीन पर चल रहा है, एक खेल स्टेडियम स्थापित है। गांव के लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए दो पार्को का निर्माण भी किया गया है। जिनमें सुबह-शाम युवाओं व बुजुर्गों की खासी भीड़ देखी जा सकती है।
सेना में गांव बड़सी के युवाओं का योगदान गांव बड़सी के 150 युवा भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा गांव के कैप्टन बलवान ¨सह ओला आर्मी में अपने बेहतर कार्यों के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से सम्मानित हो चुके हैं। गांव बड़सी में आजाद ¨हद फौज को भी अपने जवान दिए है। गांव के स्व. तुलसी राम, स्व. उदमी राम प्रधान, प्यारा ¨सह गुर्जर आजाद ¨हद फौज के जवान रह चुके है। तुलसी राम आजाद ¨हद फौज के वे सिपाही थे, जो आजाद ¨हद फौज के साथ ¨सगापुर भी गए। वहां से लौटने के बाद देश की आजादी के बाद उन्होंने हरियाणा सरकार में भी अपनी सेवाएं दीं। गांव के युवा प्रवीण बड़सी का नाम हरियाणवी संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि वे हरियाणा सांग की प्रस्तुति अनेक मंचों पर देते हैं। उनके अलावा गांव के राजकुमार वाल्मिकी भी कवि के रूप में विख्यात है। गांव के मनोज ओला पीडब्ल्यूडी विभाग में एक्सईन है।